A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABADEVOTIONAL ALBUM "BAWARE FAQEERA" VOICE :- *ABHAS JOSHI {Mumbai/Jabalpur} *SANDEEPA PARE {Bhopal} MUSIC:- *SHREYASH JOSHI { Mumbai/Jabalpur } LYRICS:- *GIRISH BILLORE ;MUKUL (Jabalpur) FOR FURTHER DETAILS & YOUR SUGESSTIONS CONTACT [1] girishbillore@gmail.com [2] girish_billore@rediffmail.com [3] PHONE 09479756905 pl send crossed cheque of Rs.60/-(Rs.50 +Rs. 10/) for one CD to Savysachi Kala Group 969/A-2,Gate No.04 Jabalpur MADHY-PRADESH,INDIA
Sunday, December 9, 2007
चक्रधर की चकल्लस
चक्रधर की चकल्लस: "http://ashok.chakradhar.com/vhs2007/"
अब भाईजी ने इतने जतन से रिपोर्ट भेजी है तो इसे सम्हालना हमारी जवाबदारी है...!
Saturday, December 8, 2007
एक हिंदुस्तानी की डायरी: हम ब्लॉगर साहित्य से बहिष्कृत हैं क्या?
एक हिंदुस्तानी की डायरी: हम ब्लॉगर साहित्य से बहिष्कृत हैं क्या?
भैया आपका सवाल सही है ब्लॉगर के बारे में सोच यही है । क्योंकि बहुतेरे ब्लॉग के "ब" तक से परिचित नहीं हैं!
जिसे ब्लागिंग की जानकारी हों वो ऐसा नहीं सोचता । हम सभी आने वाले वर्षों में शोध का विषय होंगे ...आप चिंता न करिये। रामायण लिखने वाले "तुलसी"को क्या मालूम था कि विश्व में उनकी रचना उनको प्रतिष्ठा दिलाएगी ।
हाँ गंदगी जिस दिन भी ब्लॉग पर आएगी हम सभी बदनाम हों सकतें हैं.....इस बात को ध्यान में रख के हम अपना काम जारी रखें....
ब्लॉगर साहित्य की पुलिस चौकियों से ज़रूर बहिष्कृत है , उनके थानों से बाहर हैं किन्तु हिन्दी साहित्य ने हमको नकारा नहीं है। ये सही है कि "ब्लॉग पर चर्चा कम है" ये संकट तो सभी का है।
Saturday, December 1, 2007
शान की जगह मिली आभास को::::सुरों को सम्मान मिला
आभास बना एंकर छोटे उस्ताद का
" जबलपुर ही नहीं सारा म०प्र० खुश है खुश है हर वो आम ओ खास जो आभास जोशी को पसंद करता है....!!"
कल जब मुझे मेरे सूत्रों ने बताया कि आभास जोशी स्टार प्लस के अगले रियलिटी शो "वाइस-ऑफ़-इंडिया छोटे-उस्ताद " की एंकरिंग करेंगे तो लगा वाकई आभास में ताकत है उसे कोई भी कभी भी नकार नहीं सकता।आभास की प्रतिभा के कायल सभी लोग उसके अपने हों जाते हैं। बकौल ज्योतिषविद श्री माधव सिंह यादव :-"आभास के लिए "वी० ओ० आई० " की सफलता एक छोटी सफलता होगी । आभास एक लीजेंड बनेगा , लोग उनकी आवाज़ के ठीक उसी तरह दीवाने होंगे जैसे किशोर.रफी, को पसंद किया जाता है।
निर्णायकों का वायस ऑफ़ इंडिया , सेली-ब्रिटीज़ का वी०ओ०आई०, सितारों से लेकर बच्चे - बच्चे की जुबाँ पे बसे आभास ने विजेता इश्मित को भी आइना दिखा दिया लगता है।
आभास ने जिन भी पुराने गीतों को गाया है लोगों की जुबाँ पर चढ़ गए हैं । रीमिक्स के दौर में पुराने गीतों की वापसी उनकी उसी शान के साथ .... ये कमाल सिर्फ और सिर्फ आभास ही कर सकता है ।
आभास जोशी की बतौर एंकर स्टार प्लस में वापसी ने तय कर दिया कि स्टार प्लस और निर्माता गजेन्द्र सिंह के लिए "आभास'' का अर्थ क्या है ! "
जबलपुर और समूचे म०प्र० के स्नेही आभास की इस सफलता के लिए हर्षित है वहीं भारत और विदेशों में बसे आभास के फेन'स रोमांचित हैं....!
२९ मार्च १९९० को जबलपुर में जन्में आभास को संगीत विरासत में मिला और मिला "श्रेयस " जैसा भाई जिनसे आभास को इन ऊंचाईयों तक पहुचने अपने आप को सम्बद्ध किया है। पिता रविन्द्र माँ आभा ,
मेरे दोस्त जितेन्द्र आभास के सगे चाचा , चाची और दादी सभी साधुवाद के पात्र तो हैं ही मैं उनको कैसे भूल सकता हूँ जिन्होंने आभास को सहयोग किया है ।
Wednesday, November 28, 2007
आत्म:परिचय
नाम : गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"
जन्म-तिथि:-29/11/1962
माँ:-स्व० सव्यसाची प्रमिला देवी बिल्लोरे
पिता:-काशीनाथ बिल्लोरे
शिक्षा:-एम० कॉम० एल० एल-बी०,
जीविका:-मध्य प्रदेश सरकार में बाल-विकास परियोजना अधिकारी
अन्य:-
[०१]विद्यार्थी जीवन में १५० से अधिक वाद-विवाद,भाषण प्रतियोगिताओं में प्रथम तीन स्थानों पर
[०२]छात्रसंघों में सांस्कृतिक,साहित्यिक सचिव, विधि स्नातक पाठ्य-क्रम में संयुक्त-सचिव,एवं सचिव
निर्वाचित
[०३] मिलन,पाथेय,कहानी-मंच,पाठक मंच, रचना,हिन्दी-मंच-भारती,अरुणिमा,मध्य-प्रदेश लेखक संघ से सक्रीय
जुडाव,
[०४]साहित्यिक सांस्कृतिक प्रतिभाओं के प्रोत्साहन में अवदान जारी
[०५] कृत्य १.सर्किट हाउस उपन्यास , {प्रकाशन रिटायर होने के बाद}
२.नर्मदा अमृत-वाणी {रवींद्र शर्मा} एवं बावरे-फकीरा {आभास जोशी} एलबम
३.मूल विधा :- गीत,कहानी,और अब ब्लागिंग पिछले कुछ दिनो से
,
"आत्म कथ्य:-पोलियो के शिकार बच्चों और उनके अभिभावकों को बता देता हूँ की आत्म शक्ति
हताशा और कुंठा की समापक होती हैं "
दुनिया का विकलांगता से प्रति नज़रिया बदल देना चाहता हूँ कठिन है फिर भी कोशिश में हर्ज़
क्या है.
सम्पर्क:- ९६९/ए-२,
गेट न० ०४
जबलपुर म०प्र०
फोन :-०७६१ ४०८२५९३
०९९२६४७१०७२
०९४२४३५८१६७
girishbillore@gmail.com
अमिताभ बच्चन से जलता हूँ मैं...?
जी हाँ ... सच है अमित जी से ईर्ष्या होंने लगी है मुझको , ऐश्वर्या के लिए यदि वे मन्नत भी मानतें है तो रोजिये उनको घेरे रहतें है । फिर एक पंडित के सहारे विशेष कार्यक्रम भी प्रसारित कर देतें हैं ।
यहाँ हम हैं कि कितने भी सदकर्म कर लें खबरी भाई हमारी ओर केमरा नहीं घुमाते । घुमाएंगे क्यों कर हम कोई अमित थोड़े न हैं जो हमें कोई पूछेगा...?
भाई...! हमारे शहर के लोग हमको पहचानतें है इतना ही बहुत है । हम ठहरे सरकारी, आदमी वो हैं व्यापारी काहे को उनकी नज़र हम पे पड़ेगी । अब आप सोच रहें होंगे कि हमको दिखास का रोग लग गया है ये बात नहीं है भाई ! हमारी सोच है कि जनता को क्या दे रहे हैं ये चेनल वाले ... अगर ये आज-तक वाले हमारे भाई सा'ब साहित्य के पुरोधा "बच्चन जी " पे ही कुछ दिखा देते तो शायद उनका चेनल सही दिशा में कुछ करता नज़र आता हमको । इन बेचारों क पास विषय गोया चुक गए लगते है .... तभी तो अपने "प्रभू जी, राखी सावंत से शातिराना तरीके से सिलिकान के.... के बारे में पूछ ही लेतें है "
कभी गेरे जी कभी ऐरेगैरे जी को ख़बर बना के पेश करने की आदत का मतलब टी०आर०पी॰ से सुसंगत है ।
लेकिन मेरी १० साल की बिटिया ने ज्यों ही अमिताभ की भक्ति का समाचार इस चेनल पर पाया उसी भगवान की सौगंध जिसकी पादुका पूजन अमित कर रह थे बिटिया ने झट डिस्कवरी चेनल लगा लिया ।
प्रभू ..... आपकी महिमा अब १० बरस वालों को भी मालूम हों चुकी है अब तो समझ जाओ भैये ...!
न समझो तो मुझे क्या आपसे झगडा थोड़े करना है हमको , टी० वी० बंद करना तो हमारे ही हाथ में है ।
Wednesday, November 21, 2007
मीनाक्षी जी भी खोज लाती हैं ये :-
"प्रेम ही सत्य है": मृत्यु का स्वागत करता 46 साल का प्रोफेसर(Dying Professor's Last Lecture)
Saturday, November 17, 2007
खबरों में बने रहिये जी
आप, आप हैं तो खबरों में बने रहना आपके लिए ज़रूरी है वर्ना आप "आप" कैसे बन पईएगा। सबको लालू जी जैसा भाग्य तो नहीं मिला जिनके पीछे -२ ख़बर चलतीं हैं आप ने देखा छट-पूजा के दिन ख़बर रटाऊ चैनल ने किचिन तक में जा कर रिपोर्टिंग कर डाली।
हमारे शहर में भी अखबार निकलतें हैं ..... लोगबाग नाम छपाने / फोटो छपाने के लिए जाने कितने जतन करतें हैं सबको मालूम है। अब आभास के लिए वोटिंग केम्पेन को ही लीजिये भैया ने केमेरा देखा और लगे चिल्लाने.."हमारा नेता कैसा हों आभास जोशी जैसा हों "......?
हमने कहा:-" भैये, आम चुनाव में प्रचार नहीं कर रहे हों !"
एक भाई ने तो आभास के साथ १०-१२ फोटो खिंचवा लीं, और फिर भी मन नहीं भरा तो भाई भीड़ में मुंडी घुसा घुसा के खिंचवाते रहे फोटो। जब अखबार वालों ने उनको नहीं छापा तो लानत भेजते रहे सारे अखबार पर ।
जब शुरू-२ में केबल आया था ,तब उनका कुत्ता कमरा-मेन को भोंकता था...अब तो जैसे ही केमरामेन को देखता है "उनको" छोड़ चैनल वाले के सामने आकर दुम हिलाता है।
लोग जो समाजसेवी नस्ल के जीव होते हैं ....उनकी समाज सेवा कैमरे की क्लिक के बाद हौले-२ ख़त्म हों जाती है, दिन में आठ बजे सोकर उठने वाले श्रीमान अल्ल-सुबह उठ बैठते और बीते कल की कथित समाज सेवा पर अखबार में छपी ख़बर खोजतें हैं....!
हमारे मित्र की नाराज़गी थी की हमने उनका नाम अमुक इवेंट के समाचारों से विलोपित कर दिया । हम नतमस्तक हों उनसे क्षमा के याचक हैं...?
कालू भाई जब असेम्बली के विधायक हुए फूलमाला से दबे जा रहे थे पर घर तक पहने रहे माला। आँख से आंसू गिरे तो चमचे कहने लगे :-"भैयाजी आपका ,इतना प्रेम देख कर भावुक हुए हैं "
प्रेस ने बढचढ़ के छापा ,समाचार पढ़ के बीवी ने पूछा:- "तो रो भी पड़े थे ..?"
कालू भाई बोले:-"कौन रो रहा था , वो तो उस नामुराद जनता ने जो गेंदे की माला पहनाई थी उसमें लाल चींटी थीं जो खूब काट रहीं थीं आँख से आंसू निकल पड़े "।
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एक ख़बरजीवी प्राणी अपने नाम की डोलक बजाना चाहते थे . उन्होंने एक दूकान खोली है अभी-अभी ३-४ महीने पहले यश के पीछे भागने वाले इस प्राणी के बारे मैं जो जान सका उससे साबित हुआ कि "छपास "
Tuesday, November 13, 2007
आत्महत्या क्यों न ......?
"मैं आत्म हत्या क्यों न करलूं ?
आईये, हम इस सोच की पड़ताल करें कि क्यों आता है ये विचार मन में....? आम जिन्दगी का यह एक सहज मुद्दा है। खुशी,प्रेम,क्रोध,घृणा की तरह पलायन वादी भाव भी मन के अन्दर सोया रहता है। इस भाव के साथ लिपटी होती है एक सोच आत्महत्या की जो पल भर में घटना बन जाती है, मनोविज्ञानियों का नज़रिया बेशक मेरी समझ से क़रीब ही होगा ।
गहरे अवसाद से सराबोर होते ही जीवन में वो सोच जन्म ले ही लेती है ।
इस पड़ताल में मैं सबसे पहले खुद को पेश करने कि इजाज़त मांगता हूँ:-
"बचपन में एक बार मुझे मेरी गायों के रेल में कट जाने से इतनी हताशा हुयी थी कि मैनें सोचा कि अब दुनियाँ में सब कुछ ख़त्म सा हों गया वो सीधी साधी कत्थई गाय जिसकी तीन पीड़ी हमारे परिवार की सदस्य थीं ,जी हाँ वही जिसके पेट से बछड़ा पूरा का पूरा दुनियाँ मी कुछ पल के लिए आया और गया" की मौत मेरे जीवन की सर्वोच्च पराजय लगी और मुझे जीवन में कोई सार सूझ न रहा था , तब ख्याल आया कि मैं क्यों जिंदा हूँ ।
दूसरे ही पल जीवन में कुछ सुनहरी किरणें दिखाई दीं ।
पलायनी सोच को विराम लग गया।
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ये सोच हर जीवन के साथ सुप्तरूप से रहती है।इसे हवा न मिले इसके लिए ज़रूर है ....आत्म-चिंतन को आध्यात्मिक आधार दिया जाये।अध्यात्म नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त या नगण्य कर देता है। इसका उदाहरण देखिये :-
"प्रेम में असफल सुशील देर तक रेल स्टेशन पर गाड़ी का इंतज़ार कर रहा था बेमन से इलाहाबाद का टिकट भी ले लिया सोच भी साथ थी आत्म हत्या की किन्तु अध्यात्म आधारित वैचारिक धरातल होने के कारण सुशील ने प्रयाग की गाड़ी पकड़ी कुछ दिन बाद लौट भी आया और अपने व्यक्तित्व को वैचारिक निखार देकर जब मुझसे मिला तो सहज ही कहां था उसने-"भैया,जीवन तो अब शुरू हुआ है"
"कैसे....?"
"मैं असफलता से डिप्रेशन में आ गया था सोच आत्म हत्या की थी लेकिन जैसे ही मैंने सोचा कि मुझे ईश्वर ने जिस काम के लिए भेजा है वो केवल नारी से प्रेम कर जीवन सहज जीना नही है मुझे कुछ और करना है "
सुशील अब सफल अधिकारी है उसके साथ वही जीवन साथी है जिसने उसे नकार दिया था।
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समय की रफ़्तार ने उसे समझाया तो था किन्तु समय के संदेशे को वो बांच नहीं पाया । सुशील पत्नी ,
सहज जीवन,ऊँचे दर्जे की सफलता थी उसके साथ। वो था अपनी मुश्किलों से बेखबर ।
समय धीरे-२ उसे सचाई के पास ले ही आया पत्नी के चरित्र का उदघाटन हुआ , उसकी सहचरी पत्नी उसकी नहीं थी। हतास वो सीधे मौत की राह चल पडा। किन्तु समझ इतनी ज़रूर दिखाई चलो पत्नी से बात की जाये किसी साजिश की शिकार तो नहीं थी वो। शक सही निकला कालेज के समय की भूल का परिणाम भोग रही जान्हवी फ़ूट पड़ी , याद दिलाये वो पल जब उसने बतानी चाही थी मज़बूरी किन्तु हवा के घोडे पर सवार था सुन न सका था , भूल के एहसास ने उसे मज़बूत बना ही दिया । पत्नी की बेचारगी का संबल बना वो . नहीं तो शायद दो ज़िंदगियाँ ...............
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मेरे ख़याल से जितनी तेज़ी और आवेग से विध्वंसक-भाव मष्तिष्क में आतें हैं उतनी तेज होती है रक्षात्मक-भाव जो एक कवच सा बना देता है यह सब इतनी तेज़ी से होता है कि समझ पाना कठिन होता है । शरीर की रक्त वाहनियों में तीव्र संचार मष्तिष्क को विचलित कर देता है । हम सकारात्मक विचारों को बेजा मान बैठतें है। और लगा देते हैं छलाँग कुएँ/रेल की पटरी के आगे ...........
" आप क्या सोचतें हैं ......मुझे बताइये ज़रूर ...... वक़्त निकालकर !"
साकेत
आपका लिखा हुआ पढ़ कर लगता है कि आपने जीवन को काफी करीब से देखा है मैं आपके मत से पूरी तरह सहमत हूँ मैं एक तथ्य और जोड़ना चाहूँगा इस संदर्भ में....मनुष्य को जीवन के पीछे चलना चाहिए, जीव के पीछे नहीं जीव के पीछे दौडने वाला बड़े बड़े ऐश्वर्य, राष्ट्र चमत्कार एवं अन्य भौतिकवादी वस्तुओं से प्रभावित होकर जीवन से हाथ धो बैठता है। जीवन के पीछे चलने वाला कभी उसके रहस्यों से अनभिज्ञ नहीं होता।
भाई साकेत की बात पर मेरी टिप्पणी "जी,हाँ सत्य है, हमारे देश में ही नहीं समूचे विश्व में यही स्थिति है......अध्यात्म के बगैर का जीवन जीना बिना रीड़ का जन्तु ही तो है...?आप देखिये आम जीवन "सिद्धांत-बगैर जीते लोग,पल-पल बदलतीं निष्ठाएं,दोगला आचरण, कमज़ोर का दमन, जैसी बातों की प्रतिक्रिया है "आत्महत्या"....अगर अध्यात्मिकता का आभाव है तो हताशा के सैलाब में आत्महत्या को चुनना स्वाभाविक है....!"
और आप क्या राय देंगें विनत-प्रतीक्षारत
मीनाक्षी जी भी खोज लाती हैं ये :-"प्रेम ही सत्य है": मृत्यु का स्वागत करता 46 साल का प्रोफेसर(Dying Professor's Last Lecture)
Tuesday, November 6, 2007
Saturday, November 3, 2007
Sunday, October 28, 2007
आभास होने का अर्थ
खदानों के पत्थर जो अनुमानतें हैं ,
मेरे घर की बुनियादें वो जानतें है !!
http://starvoiceofindiashow।com/abhaas-sings-tum-mere-ho/
आपसे आभास को उम्मीद थी ,है, रहेगी, आभास होने का का अर्थ है पुख्ता गायकी आवाज़ में गीत के भाव की उपस्थिति यानी गीत और सुर का सजीव हों जाना
तभी तो आभास ने जबलपुर को गायकी की दुनियाँ का सरताज बनाने का सपना दिखाया है ।
Monday, October 22, 2007
दशहरा यूनुस भाई के नाम पाती
http://radiovani.blogspot.com/
यूनुस --दमोह जबलपुर के बीच मुझे ...हाँ आपको भी दूरी लगती न होगी आपने जबलपुर-के दशहरे का ज़िक्र कर दूरी और भी काम कर दी है आपने लिखा है की -" आज दशहरा है ।मैं दो दिन पहले ही जबलपुर से लौटा हूं ।
दुर्गोत्सव की छटा जबलपुर में देखते ही बनती है । इस बार जबलपुर में घूम घूमकर दुर्गोत्सव देखा और पुराने दिनों को याद किया । सबसे अच्छा लगा सिद्धिबाला बोस बांगला लाईब्रेरी के प्रांगण में जाकर दुर्गा प्रतिमा को देखने में । यही वो पंडाल है जहां मैंने बंगाल के कई लोकप्रिय कलाकारों के बाउल गीत सुने हैं । बंगाल की संस्कृति की अनमोल झांकी देखने मिलती है वहां । इसके अलावा गोविंदगंज रामलीला जो तकरीबन डेढ़ सौ सालों से जबलपुर का गौरव रही है, उसके मंच को देखकर भी अच्छा लगा ।"यूनुस जी जबलपुर के नज़दीकी ग्राम्यांचालों की कृषक टोलियाँ आया करतीं थी म्यूनिसपल तीन पत्ती चौक से हनुमानताल तक जाने वाली प्रतिमाएं आज भी उसी तरह निकलतीं हैं ..गढ़ा का जलूस तो अगले दिन ही निकलेगा पर अब.. फर्क ये है कि ग्राम्यांचलों के किसान परिवार अब अपने शहरी रिश्तेदारों के घर रुकते नहीं हैं... बाइक-और ट्रेक्टरों से वापस हो जाते हैं . हाँ एक और बात जबलपुर के बेटे "आभास जोशी" ने भोपाल दौरे पर जो पाती शहर वासियों के नाम दशहरे के अवसर पर भेजी थी अखबारों ने अपने-अपने अंदाज़ में छापी तो जबलपुर वासी पीछे क्यों रहते आनन फानन पंकज विद्यार्थी और जितेन्द्र चौबे ने ६ घंटे के भीतर आभास का बेहतरीन पोस्टर ऑटो पर लगा कर श्याम बैंड के साथ जनमेदनी के बीच रवाना कर दिया ..... जबलपुर आज भी जबलपुर है लोग जिसे प्यार करतें हैं दिल से प्यार करतें हैं श्याम-टाकीज़ यानी मालवीय-चौक पे तो अचानक २०० युवक एक समूह में जमा हो गए जो पुलिस की टोही निगाहों से बच नहीं सके पता साजी करते पुलिस वालों के पूछे जाने पर युवक बोले :-"सर, आप भी कीजिए न आप भी एक "एस०एम०एस०" आभास को अपने शहर का बेटा है वाह.....जबलपुर....!!
Friday, October 19, 2007
“आभास का दीवाना है शहर भी...! प्रदेश भी....!!”
हर उम्र वर्ग समूह ने आभास को पसंद किया है । इस बात की पता साजी करने निकले आभास जोशी स्नेह मंच के लोग तो पाया कि अनवर अली साहेब हर उसके पक्ष में न केवल वोट करतें है बल्कि कराते भी हैं जो शहर जबलपुर से बाबस्ता हो. संजीव चौधरी जी ने बताया था कि :-"अनवर साहब ने प्राजक्ता शुक्रे को दिल खोल के वोट किये और कराए आप उनसे भी मिलिए "
मंच के जीतेन्द्र भाई जब उनसे मिले तो पता चला कि अनवर साहब तो आभास के लिए पहले ही से कम कर रहें है....!
बिल्डर सरदार अमरीक सिंह ने कहां:-"वाहे गुरु की मेहर से अपना आभास ही इंडिया की आवाज़ बनेगा मेरे पिंड दा मुंडा चक देगा इंडिया तुसी घबराओ न जी "
तो मनवीर की राय थी:-"भैया के लिए मुझे बहुत जागना पड़ता है मम्मी पापा मैं हम सब आभास भैया के गाने सुने बिना नहीं सोते "
नन्हें ऋतिक और सागर मनचंदा ने उलटे हमारी टीम से ही पूछ लिया:-"अंकल वोट कौन नहीं देता हमारे भैया को ...?"
पत्रकार सुरेन्द्र दुबे को आभास का त्याग भाव बेहद भा गया:-"अपाहिज बच्चों की मदद के लिए बावरे फकीरा गाकर आभास ने जो किया है हम उसके लिए एक वोट नहीं करें तो उसके त्याग के लिए हमारा मूल्यांकन हमारी सोच को रेखांकित करता है"
जैन समाज के प्रदीप जैन की राय में :-"लोग भारतीय संगीत की शक्ति को भुला न पायें, तभी तो पुराने सोने की पहचान कराता है आभास पर आज के दौर को भी आभास ने खुद में संजो लिया है ..... भाई....! बेमिसाल....!! लाजवाब.....!!!"
मिक्की आहूजा तो आभास की गायकी से इस कदर मुतासिर हैं कि उनके सामने आप किसी और की तारीफ करेंगे तो उनका गुस्सा तुरंत नजर आ जाएगा।
श्रीमती शिवेश गृहणी ने कहा:-"समय के साथ मनोरंजन के तरीके बदलते-मीडिया कलाकारों के लिए "आत्मिक-संबंध की डोर सी बाँध दी है मुझे मेरा बेटा गाता नज़र आता है जब आभास गाता है"
ट्रांसपोर्ट व्यवसायी बाबी की राय थी -"आभास की टक्कर का वर्सटाइल मुझे किसी भी रियलिटी शो में नहीं मिला "
जबकि राजा एवं सतीश वंशकार का मत है शहर के लोग अगर वोट करें तो हमारा आभास वाईस-ऑफ़-इंडिया ज़रूर बनेगा !
प्रिंटिंग व्यवसाय में संलग्न विनोद अरोरा एवं आटो-पार्ट व्यापारी संजय जैन ने कहा:-"प्राजक्ता के बाद आभास ने महानगरों को चुनौती जहाँ देकर जबलपुर का माथा ऊँचा किया वहीं मध्य-प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि यहाँ के कलाकार जब छाते हैं दिलों पे तो दुनियाँ दंग रह जाती है "
रेडिमेड-वस्त्रों का कारोबार करने वाली नीलम अरोरा ने बताया कि जबलपुर सिवनी मंडला कटनी यानी पूरा महाकौशल आभास का दीवाना है....! सब चाहतें हैं आभास के सर वी० ओ० आई० का ताज होना ही चाहिऐ, इसके लिए वे दर्शकों को नसीहत देना नहीं भूलीं -"भाई..वोट तो करो आभास के लिए प्यार को साबित करो "
नीलम जैन जो प्रसारण विवादित क्षेत्र में रहतीं ने घर घर जाकर आभास को वोटिंग कराई वो कहतीं हैं:-"शहर के लिए अगर में थोड़ा-सा समय आभास के निकालती हूँ तो क्या बुराई है इसमें लोगों को वोटिंग पाॅवर देकर अपने पसंद का गायक चुनने की छूट मिली है तो इस अवसर को क्यों हाथ से जानें दूँ"
साहित्यकार-कविगण भी आभास की दीवानगी से नहीं बच पाए महावीर नयन, आसुतोष "असर",राजेश पाठक "प्रवीण'', एस० ए० सिद्दीकी,डाक्टर संध्या जैन "श्रुति",कुमारी गीता"गीत", आनंद कृष्ण, डाक्टर विजय तिवारी "किसलय", तो आभास की वोटो के कारण पिछले दिनों हुए एलिमिनेशन को आभास की नहीं संगीत और सुर की हार माना जबकि पंकज शुक्ल इसे महानगरों से छोटे शहरों की स्पर्धा मानते कहतें है-"कोई तो है जो सीमित साधनों मी असीम कोशिश में लगा है...... ?"
दिनभर सरकारी काम काज निपटाने में लगे मंडला के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रसिद्ध कवि जगदीश जटिया हो या जिला कार्यक्रम अधिकारी महेंद्र द्विवेदी हों सभी आभास के लिए इयामित वोट ही नहीं करते वरन सहयोगियों से आभास की प्रस्तुतियों पर होतीं चर्चा में शामिल भी हो जाते है. संयुक्त-संचालक महिला बाल विकास श्रीमती राजपाल कौर दीक्षित, आर० एस० रघुवंशी [भोपाल] अक्षय श्रीवास्तव {भोपाल} जबलपुर के इस हीरे के बारे में अपने सम्पर्क में आने वालों से ज़रूर पूछते हैं.......!
अनिल अरोरा, सरदार कुलवंत सिंह, कुमार मलकानी, मनोहर चावलानी,लोचन दुबे सामूहिक रूप से केबल विवाद को आभास के लिए रोड़ा मानते हुए कहतें हैं कि:-"स्टार-प्लस भी जिम्मेदार है कुछ हद तक...! जबलपुर की आधी जनता स्टार वाईस ऑफ़ इंडिया नहीं देख पा रही स्टार चाहे तो कुछ ही पलों में विवाद थम जायेगा"
स्वप्निल जैन ने आभास जोशी को सबसे चर्चित गायक माना जबकि शिवानी अनुभा निष्ठा चिन्मय तन्मय तान्या कम वोटिंग के कारण की तलाश में है....!
http://www.slide.com/r/FUGXmlG_7j_6t-5o-R9DORJUuhzVVYWT?previous_view=lt_embedded_url
Sunday, October 14, 2007
शर्मनाक
जबलपुर में केबल-वार अब घटिया स्तर पर उतर आया है...! इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिला १३/१०/२००७ को स्टार-प्लस की जगह छोटे केबल वालों को डरा धमका कर ,प्रलोभन देकर ज़ी टी० वी० एक प्रतिद्वंदी चेनल के प्रसारण दिखाने को बाध्य किया गया ।
हुआ यूँ कि एयरटेल के नोड पर चलने वाले बी० टी० वी० में कोई तकनीकी खराबी होने [शायद हो गयी या कर दी गयी] का फ़ायदा काम्पटीटर केबल का प्रसारण ज़ी टी ० वी० "सा..रे...गा...मा...पा ...." के लिए किया गया ।
रात १०:०० बजने के २० मिनट पहले तक़नीकि-खराबी का आना केबल वाले निरंजन ने अपना नंबर ९३०००१५६९० बंद कर लेना, एयरटेल से वोटिंग बंद हो जाना आभास जोशी के लिए किया गया षडयंत्र नहीं तो क्या ...?
जो भी हो हम हारे नहीं हैं वास्तव में थोड़े उदास जरूर हुये थे पर हम को मालूम है दशहरे में इन रावण वृत्ती का अंत तय है.....!
Saturday, October 13, 2007
श्रेयष-ने आके बताया......!
"मुझे जबलपुर बहुत याद आता है...-आभास-जोशी"
आभास ने जबलपुर प्रवास पर आये अपने भाई श्रेयस के जरिये कह -"मुझे जबलपुर कितना याद आ रहा है भैया आप क्या जानों दशहरे की शुरुआत घूमना फिरना सब कुछ छूट गया लगता है....!"
शहर भी अब मुझे याद कर रहा होगा मुझे भरोसा है... वोटों ने साबित कर ही दिया है..!भैया देखना मेरा वी०ओ०आई० बनने का सपना मेरी आंखों से निकलकर सब की आखों में बस गया है . बिना खिताब लिए जाने पर सब क्या सोचेंगे ?
इसी भय से मुक्ति दिलाने आदेश श्रीवास्तव ने शायद आभास को पिसनहारी की मढ़िया जीं के उनको मिले १००/- देते हुये आभास को सफलता का आशीष दिया
श्रेयस ने अपने अनुभव आभास जोशी स्नेह मंच के सदस्यों के बीच बाटते हुए बताया -"मंच और होस्टल में दिन भर धींगा मुश्ती करने वाले आभास ने सबका मन मोह लिया है . लोग उसे और उसकी शरारत को ख़ूब पसंद कर रहे हैं... अमिताभ जीं, से आभास को आशीर्वाद के साथ यह सुनकर बहुत कि भई! ये जबलपुर वाले
किस कुएं का पानी पीते हैं जो इतना अच्छा गाते हैं...?
एलिमिनेशन पर आभास रोया बिल्कुल नहीं उसने मेरे ही आंसू पोंछे जो मेरे लिए अदभुत एहसास था ,
आभास जोशी को जब शहरवासियों के उसके लिए किये जा रहे कार्यों की जानकारी दीं गयी तो उसने कहा -"भैया अब हार से मुझे डर लग रहा है शहर ने जो मुझे लेकर सपने देखे हैं.....?"
श्रेयस ने समझाया -''योगी, जबलपुर क्या पूरे देश-प्रदेश ने तुमको लेकर सपना सजाया है तभी तो सब तुम्हारे साथ हैं और रहेंगे ''
आभास जोशी को जिताने
SMS से वोट करने . वीओआई< >05, भेज़ें 57827 पर
बीएसएनएल लैंडलाइन 1862424782705 मोबाइल 12782705 एयरटेल
505782705
Thursday, October 11, 2007
आभास के सुर
watch songs sung by young talenthttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3DThg2O1nzh5I%22Ek Chatur Naar - SVOI - 23rd Septemberhttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3Dk3ceZyjOvDE%223 Abhaas - Mera To Jo Bhi Kadam - SVOI - 14th Septemberhttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3DZLoDnPNyjRY%224 Abhaas - Hum Kisi Se Kum Nahin - SVOI - 21st Septemberhttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3DMZ_9gig_iIg%225 Abhaas - Aaja Aaja - SVOI - 8th Septemberhttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3DThg2O1nzh5%226 Abhaas - Kaal Dhamaal - SVOI - 31staughttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3DRDiWV89fvek%227 Abhaas - Vaada Raha - SVOI - 7th Septemberhttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3DwuhK7w5nEVI%228 Abhaas - Janaab E Ali - SVOI - 6th Octoberhttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3Dx_4J1SDRFIg%229SVOI 07-07 Abhaas - Ye duniya usiki.wmvhttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3DzPF0-QFfF3A%26mode%3Drelated%26search%3Damul%2520s%2210Abhas Joshi - Mitwa - Jagjit Singhhttp://www.orkut.com/UniversalSearch.aspx?q=%22http%3A%2F%2Fyoutube.com%2Fwatch%3Fv%3DRi-3ZCFY1yo%22Join http://www.orkut.com/Community.aspx?cmm=40187624 for more songs
Sunday, October 7, 2007
"अपने बच्चों को छोटे-छोटे अवसरों से वंचित न रहनें दें कौन जाने इनमें कहीं आभास पनप रहा हो...!!"
"अपने बच्चों को छोटे-छोटे अवसरों से वंचित न रहनें दें कौन जाने इनमें कहीं आभास पनप रहा हो...!!"
आभास के सुरों का जादू शहर के हरेक इन्सान पर इस क़दर हावी है कि अब तो हर फोरम पे अगर आभास का ज़िक्र न हो तो बात गोया पूरी ही नहीं हुई मानी जाती ...... आभास जोशी स्नेह मंच के संयोजक राजेश पाठक "प्रवीण" रविवार दिनांक ०७/१०/०७ रैली के बाद एक सांस्कृतिक आयोजन में शामिल हुए , कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे चित्रकार-कलाकार "हरी भटनागर"
कार्यक्रम यूँ तो अंतरंग था किन्तु प्रेरणास्पद रहा है... बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ वाह...वाह....!"
जहाँ एक ओरसभी अतिथियों ने आभास के लिए वोट अपील की वहीं..हरी भटनागर जी के कथन-"बच्चों को छोटे-छोटे अवसरों से वंचित न रहनें दें कौन जाने इनमें कहीं आभास पनप रहा हो ...?"-सुनकर अभिभावक अभिभूत हुए बिना कैसे रह सकते थे ....!
Part 1 http://www.divshare.com/download/2086645-f96
Part 2 http://www.divshare.com/download/2086703-1a5
Part 3 http://www.divshare.com/download/2087151-4da
Part 4 http://www.badongo.com/vid/481639
Part 5 http://www.divshare.com/download/2087414-93b
Saturday, October 6, 2007
" आभास के गुमनाम फेन की तलाश "
आभास जोशी स्नेह मंच जबलपुर
को
" आभास के गुमनाम फेन की तलाश "
आभास जोशी स्नेह मंच द्वारा सुदर्शन परिवार दिनांक ०७/१०/२००७ की यात्रा के लिए जनसहयोग से तैयारियों के लिए प्रचार सामग्री तैयार गोलबाज़ार में कराई जा रही थी भाई जितेंद्र चौबे जब प्रेस में मैटर दीं गए वहीं एक व्यक्ति जो अपने काम से आये थे. बिना कुछ कहे अपनी ओर से १००० पैम्फलेट अधिक छपवाने प्रेस प्रबंधक से चर्चा की और स्वयम पास की दूकान से ज़रूरत के अनुसार कागज़ खरीद कर दे गए मुद्रक को मुद्रक एवं मंच के प्रचार संयोजक जितेन्द्र चौबे ने जब उनसे नाम जानना चाहा तो साफ इनकार करते हुये-"भाई साहब आभास के लिए मेरा ये कर्तव्य है...नाम में क्या रखा है...?"
आभास जोशी स्नेह मंच इन गुमनाम फेन का आभारी है मंच चाहता है कि आभास के ये फेन महाशय यदी प्रचार नहीं चाहते तब भी वे मंच को अपना भावनात्मक सहयोग तथा आभास को अपना आशीर्वाद देने अवश्य आज ०७/१०/०७ को अवश्य ही प्रात: आने का कष्ट करेंगे !
http://youtube.com/watch?v=CB8YqexGz88
Monday, October 1, 2007
"आभास का दीवाना हुआ शहर !!"
उन हाथों को चूम लेना चाहता हूँ !!
आभास कि जीत तो पक्की है.... मेरी इस पंक्ति के पूरे होते होते शायद आभास शायद जीत चुका होगा.....!
जबलपुर,मध्य-प्रदेश,भारत,जर्मनी,शारजाह,यू०ए०ई०, सिंगापुर,यू० के०, पाकिस्तान जहाँ से जिसने भी आभास को सराहा जीं चाहता है.... मैं उन हाथों को चूम लूँ.....!यकीन कीजिये उन हाथों को चूम लेना चाहता हूँ...!
ये कहा राजेश पाठक "प्रवीण" ने
शहर जबलपुर जागते हुये पत्थरों का शहर है.... महाकौशल संस्कारों का क्षेत्र है... भ्रगु-ऋषि , की तपोस्थलि का अनुपम सौन्दर्य जहाँ से जो भी जात्रा शुरू होती है.. संघर्ष भरी भले हो सफल ज़रूर हो जाती है...!
आभास का सफ़र "टी० वी०एस० सा..रे..गा..मा...पा...!" से शुरू हुआ था आभास ने जीता था वो खिताब और तब से पिछले तीन माह से अमूल-स्टार-वाईस-ऑफ़-इंडिया के लिए संघर्ष रत है...एलिमिनेट हुआ जबलपुर से आभास भैया को राखी भेजने वाली शिवानी से खाना नहीं खाया था तो राखी स्पेशल के मौके पर स्टेज पर जाकर राखी बाधने वाली निष्ठा ने शहर से सवाल किया... वो हाथ क्यों थके-थके हैं जिन्हौंने ताज को नंबर वन पर लाने सर्वाधिक वोट देकर शहर जबलपुर का नाम नंबर वन पर दर्ज़ कराया ...?
तो नन्हाँ ब्लागिया चिन्मय , उसका दोस्त गुरू यानी अनुभव इतने उदास थे कि अपने दोस्तों से कुट्टी कर ली, गुमसुम घर में बैठे बतिया रहे थे-"मेरे दोस्तों ने शायद वोट नहीं किये अपने आभास को...हमें इनसे बात नहीं करनी !"
जितेन्द्र भाई सतीश भैया सबको धीरज देते सच्चा सुर है जीतेगा ज़रूर !
गोविन्द भाई तो बेचैन थे हीरा जीं यानी पं. रोहित तिवारी जीं की बेचैनी से .... प्रह्लाद जीं राजा वंशकार सतीश वंशकार सब-के-सब परेशान ......
आभास के लिए मुहिम छेड़ने वाले महाकौशल के अखबार में भी आभास को लेकर चिंता थी , प्रभाव शाली ढंग में वोट अपील जारी कर मीडिया ने जो मदद की वो सब हतप्रभ...!
आभास जोशी स्नेह मंच के लोग केबल-वार के शिकार उन इलाकों में गए जहाँ स्टार प्लस नहीं दिखाया जाता जबलपुर बरेला बरगी पनागर तो मानो आभास को वी०ओ०आई० का विजेता मान ही चुका है...!
मुझे विश्वास है फिर गूंजेगी शांतनु मुख़र्जी "शान" की आवाज़ -"जब्बलपुर...के...आभास .....!"
आलेख डाक्टर संध्या जैन श्रुति जबलपुर
Sunday, September 30, 2007
AMUL STAR VOICE OF INDIA
AMUL STAR VOICE OF INDIA
ABHAS BECAUSE OF HIS SUPERB PERFORMANCE HAS GIVEN AN ANOTHER CHANCE BY JUDGES IN WILD CARD ENTRY, NOW ONLY YOUR VOTES WILL DECIDE HIS FATE IN VOICE OF INDIA.
PLEASE VOTE FOR ABASH JOSHI.
VOTING DETAILS: VOTE FOR ABHAS
SMS:
VOI 05 TO 57827
LANDLINE DIAL:
1862424782705
AIRTEL:
505782705
हीरा भाई परीशान हैं.....
आभास का एलिमिनेशन से हताश हैं किन्तु जब से वाइल्ड कार्ड एंट्री की ख़बर ने उनको उत्साहित तो कर ही दिया है वे दौड़ भी गए आभास के लिए ........ ऎसी शख्शियत है "पंडित रोहित तिवारी "हीरा " की .....
कल अल्ल-सुबह मेरे साथ कुछ करना है हमको .....
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रविशंकर स्टेडियम जबलपुर में सुबह सवेरे जुडतें हैं शहर के लोग वर्जिश के लिए , आजकल ये लोग केवल आभास की बात करतें हैं.... सियासत...रिवायत.....हिदायत....इन सबकी चर्चा के विषय अब नहीं हैं...... जब से इन्हौने जाना है... कि आभास उनके शहर की वो आवाज़ है जो दुनिया की बेहतरीन आवाजों में शुमार होने तेज़ी से बड़ रही है....
सतीश बिल्लोरे मेरे बडे भाई ने बताया -"आभास मेरा रिश्तेदार है..."
फिर क्या था महावीर नयन जीं, पी एस बुन्देला , अरुण सचदेव, कुमार मलकानी, विनोद अरोरा,संजय जैन , द०आर० के० अग्रवाल, व्यास जीं सुरेश वासवानी त्रिलोक नाथ अमबवानी, सरदार कुलवंत सिंह प्रबल्जीत भाई , चन्दन सेठ की टीम ने "आभास की वी० ओ० आई०" में वापसी के लिए कोशिशें
http://youtube.com/watch?v=CB8YqexGz88
Saturday, September 29, 2007
लता मंगेशकर जीं जन्म दिन की बधाई
सुर सरगम से संयोजित युग
तुम बिन कैसे संभव होता ?
कोई कवि क्यों कर लिखता फिर
कोयल का क्यों अनुभव होता...?
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विनत भाव से जब हिय पूरन
करना चाहे प्रभु का अर्चन.
ह्रदय-सिन्धु में सुर की लहरें -
प्रभु के सन्मुख पूर्ण समर्पण ..
सुर बिन नवदा-भक्ति अधूरी - कैसे पूजन संभव होता ?
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नव-रस की सुर देवी ने आके
सप्तक का सत्कार किया !
गीत नहीं गाये हैं तुमने
धरा पे नित उपकार किया!!
तुम बिन धरा अधूरी होती किसे ब्रह्म का अनुभव होता ..?
**गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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