Saturday, September 29, 2007

लता मंगेशकर जीं जन्म दिन की बधाई

सुर सरगम से संयोजित युग तुम बिन कैसे संभव होता ? कोई कवि क्यों कर लिखता फिर कोयल का क्यों अनुभव होता...? **************** विनत भाव से जब हिय पूरन करना चाहे प्रभु का अर्चन. ह्रदय-सिन्धु में सुर की लहरें - प्रभु के सन्मुख पूर्ण समर्पण .. सुर बिन नवदा-भक्ति अधूरी - कैसे पूजन संभव होता ? ********************* नव-रस की सुर देवी ने आके सप्तक का सत्कार किया ! गीत नहीं गाये हैं तुमने धरा पे नित उपकार किया!! तुम बिन धरा अधूरी होती किसे ब्रह्म का अनुभव होता ..? **गिरीश बिल्लोरे मुकुल

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