Sunday, October 10, 2010

खून ने खौलना बंद कर दिया

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साभार ajay vikram singh
जी अब मेरे खून ने खौलना लगभग बंद कर दिया. मैं अपने आप को ज़िंदा रखना चाहता हूं. बोल देता हूं क्योंकि बोलना जानता हूं पर दबी जुबान में. तुम तो कह रहे थे अंग्रेजों के जाने के बाद हमारा ही राज़ होगा.... तुम ने झूठ तो नहीं बोला गोली खा के शहीद हो गए तुम्हारे त्याग ने १५ अगस्त १९४७को आज़ादी दे दी लेकिन कैसी मिली तुम क्या जानो मुझे मालूम हैं पुख़्ता छतों की हक़ीक़त.. सच अब तो अभ्यस्त हो गया हूं. अब सच में अब मेरे खून ने खौलना लगभग बंद कर दिया. मेरे पास समझौते हैं भ्रष्ट व्यवस्था से कभी जूझा था एक बार. फ़िर सबने समझाया समझ में आ गया अब जी रहा हूं एक टीस के साथ पर सच अब मेरे खून ने खौलना लगभग बंद कर दिया. देखता हूं  शायद कभी खौल जाए इस देश की खातिर पर उम्मीद कम है

2 comments:

पद्म सिंह said...

ऐसी पोस्ट ठन्डे खून वाले नहीं लिख सकते ... शुभकामनाएँ

Girish Kumar Billore said...

पदम भैया क्या बात है शुक्रिया

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