Sunday, September 30, 2007

हीरा भाई परीशान हैं.....

आभास का एलिमिनेशन से हताश हैं किन्तु जब से वाइल्ड कार्ड एंट्री की ख़बर ने उनको उत्साहित तो कर ही दिया है वे दौड़ भी गए आभास के लिए ........ ऎसी शख्शियत है "पंडित रोहित तिवारी "हीरा " की .....
कल अल्ल-सुबह मेरे साथ कुछ करना है हमको .....
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रविशंकर स्टेडियम जबलपुर में सुबह सवेरे जुडतें हैं शहर के लोग वर्जिश के लिए , आजकल ये लोग केवल आभास की बात करतें हैं.... सियासत...रिवायत.....हिदायत....इन सबकी चर्चा के विषय अब नहीं हैं...... जब से इन्हौने जाना है... कि आभास उनके शहर की वो आवाज़ है जो दुनिया की बेहतरीन आवाजों में शुमार होने तेज़ी से बड़ रही है....
सतीश बिल्लोरे मेरे बडे भाई ने बताया -"आभास मेरा रिश्तेदार है..."
फिर क्या था महावीर नयन जीं, पी एस बुन्देला , अरुण सचदेव, कुमार मलकानी, विनोद अरोरा,संजय जैन , द०आर० के० अग्रवाल, व्यास जीं सुरेश वासवानी त्रिलोक नाथ अमबवानी, सरदार कुलवंत सिंह प्रबल्जीत भाई , चन्दन सेठ की टीम ने "आभास की वी० ओ० आई०" में वापसी के लिए कोशिशें
http://youtube.com/watch?v=CB8YqexGz88

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