A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABADEVOTIONAL ALBUM "BAWARE FAQEERA" VOICE :- *ABHAS JOSHI {Mumbai/Jabalpur} *SANDEEPA PARE {Bhopal} MUSIC:- *SHREYASH JOSHI { Mumbai/Jabalpur } LYRICS:- *GIRISH BILLORE ;MUKUL (Jabalpur) FOR FURTHER DETAILS & YOUR SUGESSTIONS CONTACT [1] girishbillore@gmail.com [2] girish_billore@rediffmail.com [3] PHONE 09479756905 pl send crossed cheque of Rs.60/-(Rs.50 +Rs. 10/) for one CD to Savysachi Kala Group 969/A-2,Gate No.04 Jabalpur MADHY-PRADESH,INDIA
Tuesday, December 9, 2008
मुकुल की चिटठा चर्चा
Thursday, December 4, 2008
मुमताज़ : ये हरामजादे तुम्हारे लिए ताजमहल बनाएंगे
जबलपुर के रद्दी चौकी क्षेत्र में एक मानसिक रूप से विक्षिप्त युवती के साथ किया दुराचार किन्नरों ने घायल अवस्था में उसे अस्पताल में भर्ती कराया । |
"मुमताज़ ये हरामजादे तुम्हारे लिए शायद अभी गए हैं ताजमहल बनाने" हमारी जिम्मेदार पुलिस इनकी तलाश में हैं..! |
Wednesday, December 3, 2008
इमरान खान वाला विज्ञापन ...........!
Saturday, November 15, 2008
www.girishbillore.com or http://blog.girishbillore.com/
Tuesday, November 11, 2008
एक शहर एक दावानल ने निगला नाते चूर हुए
माचिस की तीली के ऊपर बिटिया की से पलती आग
यौवन की दहलीज़ को पाके बनती संज्ञा जलती आग .
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एक शहर एक दावानल ने निगला नाते चूर हुए
मिलने वाले दिल बेबस थे अगुओं से मज़बूर हुए
झुलसा नगर खाक हुए दिल रोयाँ रोयाँ छलकी आग !
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युगदृष्टा से पूछ बावरे, पल-परिणाम युगों ने भोगा
महारथी भी बाद युद्ध के शोक हीन कहाँ तक होगा
हाँ अशोक भी शोकमग्न था,बुद्धं शरणम हलकी आग !
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सुनो सियासी हथकंडे सब, जान रहे पहचान रहे
इतना मत करना धरती पे , ज़िंदा न-ईमान रहे !
अपने दिल में बस इस भय की सुनो 'सियासी-पलती आग ?
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जी हाँ मैंने "पहल" का प्रकाशन बंद कर दिया -ज्ञानरंजन
पंकज स्वामी गुलुश नें बताया की ज्ञान जी ने अपना निर्णय सूना ही दिया की वे पहल को बंद कर देंगे कबाड़खाना ने इस समाचार को को पहले ही अपने ब्लॉग पर लगा दिया था. व्यस्तताओं के चलते या कहूं “तिरलोक सिंह”
होते तो ज़रूर यह ख़बर मुझे समय पर मिल गई होती लेकिन इस ख़बर के कोई और मायने निकाले भी नहीं जाने चाहिए . साहित्य जगत में यह ख़बर चर्चा का बिन्दु इस लिए है की मेरे कस्बाई पैटर्न के शहर जबलपुर को पैंतीस बरस से विश्व के नक्शे पर अंकित कर रही पहल के आकारदाता ज्ञानरंजन जी ने पहल बंद कराने की घोषणा कर दी . पंकज स्वामी की बात से करने बाद तुंरत ही मैंने ज्ञान जी से बात की .
ज्ञान जी का कहना था :"इसमें हताशा,शोक दु:ख जैसी बात न थी न ही होनी चाहिए .दुनिया भर में सकारात्मक जीजें बिखरीं हुईं हैं . उसे समेटने और आत्म सात करने का समय आ गया है"
पहल से ज्ञानरंजन से अधिक उन सबका रिश्ता है जिन्होंने उसे स्वीकारा. पहल अपने चरम पर है और यही बेहतर वक़्त है उसे बंद करने का .
हाँ,पैंतीस वर्षों से पहल से जो अन्तर-सम्बन्ध है उस कारण पहल के प्रकाशन को बंद करने का निर्णय मुझे भी कठोर और कटु लगा है किंतु बिल्लोरे अब बताओ सेवानिवृत्ति भी तो ज़रूरी है.
ज्ञान जी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा :-"हाँ क्यों नहीं, पहल की शुरुआत में तकलीफों को मैं उस तरह देखता हूँ की बच्चा जब उम्र पता है तो उसके विकास में ऐसी ही तकलीफों का आना स्वाभाविक है , बच्चे के दांत निकलने में उसे तकलीफ नैसर्गिक रूप से होती है,चलना सीखने पर भी उसखी तकलीफों का अंदाज़ आप समझ सकते हैं "उन घटनाओं का ज़िक्र करके मैं जीवन के आनंद को ख़त्म नहीं करना चाहता. सलाह भी यही है किसी भी स्थिति में सृजनात्मकता-के-उत्साह को कम न किया जाए. मैं अब शारीरिक कारण भी हैं पहल से अवकाश का .
ज्ञान जी पूरे उछाह के साथ पहल का प्रकाशन बंद कर रहें हैं किसी से कोई दुराग्रह, वितृष्णा,वश नहीं . पहल भारतीय साहित्य की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित एवं पठित ऐसी पत्रिका है जो कल इतिहास बन के सामने होगी बकौल मलय:"पहल,उत्कृष्ट विश्व स्तरीय पत्रिका इस लिए भी बन गई क्योंकि भारतीय रचना धर्मिता के स्तरीय साहित्य को स्थान दिया पहल में . वहीं भारत के लिए इस कारण उपयोगी रही है क्योंकि पहल में विश्व-साहित्य की श्रेष्ठतम रचनाओं को स्थान दिया जाता रहा'' मलय जी आगे कह रहे थे की मेरे पास कई उदाहरण हैं जिनकी कलम की ताकत को ज्ञान जी ने पहचाना और साहित्य में उनको उच्च स्थान मिला,
प्रेमचंद के बाद हंस और विभूति नारायण जी के बाद "वर्तमान साहित्य के स्वरुप की तरह पहल का प्रकाशन प्रबंधन कोई और भी चाहे तो विराम लगना ही चाहिए ऐसी कोशिशों पर पंकज गुलुश से हुई बातचीत पर मैंने कहा था "
इस बात की पुष्टि ज्ञान जी के इस कथन से हुई :-गिरीश भाई,पहल का प्रकाशन किसी भी स्थिति में आर्थिक कारणों,से कदापि रुका है आज भी कई हाथ आगे आएं हैं पहल को जारी रखे जाने के लिए . किंतु पहल के सन्दर्भ में लिया निर्णय अन्तिम है.
पेप्पोर रद्दी पेप्पोर Saturday, November 1, 2008 'पहल' की यात्रा जारी रहे -जारी रहेगी वीरेन डंगवाल | पेप्पोर रद्दी पेप्पोर पहल का पटाक्षेप ! वीरेन डंगवाल |
पोस्ट के टिप्पणी कार | |
अजित वडनेरकर गिरीश बिल्लोरे "मुकुल" Ek ziddi dhun | vijay gaur/विजय गौड़वर्षासिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीबोधिसत्वDineshrai Dwivedi दिनेशराय द्विवेदीEk ziddi dhunअजित वडनेरकरऔर मैं |
ज्ञानरंजन रुकने का नाम नहीं है वो ज़ारी था जारी है ज़ारी रहेगा अनवरत वो न तो शब्द है न बिम्ब है न आभास है वो एक दम साफ़ शब्दों में "ज्ञानरंजन है !" द्रढ़ है संयम है योगी है मुझे ज्ञानरंजन में कोई नकली आदमीं नज़र नहीं आया · मुकुल |
Sunday, November 9, 2008
एक थे तिरलोक सिंह
अगर चर्चा ऐसी हो तो कैसी रहेगी
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हल्की शीत की उत्तरभारतीय सिहरन के बीच : अपनी आग में निरंतर दहक रहा देश">हल्की शीत की उत्तरभारतीय सिहरन के बीच : अपनी आग में निरंतर दहक रहा देश | |
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ब्लागों का ब्लॉग
Friday, November 7, 2008
अँधा बांटे रेवडी : ब्लॉग चर्चा
- पुलिस की इस हरकत को क्या कहेंगे?????? : तो ठीक है करविमर्श, कर लेतें है हम ।
- अमिताभजी और मेरे सेलेब्रिटी स्टेटस के साईड इफ़्फ़ेक्ट्स! : किसी अच्छे से डाक्टर को दिखाइए ,
- अच्छा हुआ जो साहित्य मर गया : वरना ,"ये", मार देते ।
- राज के लिए बुरी ख़बर :बिहार में बनेगा भोजपुरी फिल्म स्टूडियो
- बहती गंगा में, में हाथ धो लीजिए क्योंकि " हाथ में बारूद की गंध " आ रही है।
- आतंकवाद यानी, लाठी "ताऊ ", की लाठी ,की आवाज़ ।
- हृदय रोग की अपु्र्व दवा , और कारण दौनो ही है आपके पास ,"मन के भीतर खोजो,,कहीं कोई " मासूम "सी सोच तो नहीं पल रही है आपमें ।"नेताजी का मोबाइल", खतरनाक संदेश तो नहीं॥?,
- कहीं इनका चुनाव का टिकट कट तो नहीं गया सियासत से ही ।
- दीपावली के अवसर पर लिखी एक ताज़ा ग़ज़ल् अभी तक पता नहीं कितनी ताज़गी है देवउठनी ग्यारस की ठीक उसी दिन पडवा देना जी ।
Wednesday, November 5, 2008
"जय ब्लॉगर जय हिन्दी ब्लागिंग " लिंक पोस्ट
Monday, November 3, 2008
"सुनो....सुनो.....सुनो.....साहित्य लेखन के विषय चुक गए हैं...! "
चिंता और ऊहापोह वश ,गुरुदेव ने ऐलान कर दिया-"सुनो....सुनो.....सुनो.....साहित्य लेखन के विषय चुक गए हैं...! "क्या................विषय चुक गए हैं ? हाँ, विषय चुक गए हैं ! तो अब हम क्या करें....? विषय का आयात करो कहाँ से .... ? चीन से मास्को से .....? अरे वही तो चुक गए हैं....! फ़िर हम क्या करें..........? लोकल मेन्यूफेक्चरिंग शुरू करो औरत का जिस्म हो इस पे लिखो भगवान,आस्था विश्वास....भाषा रंग ..! अरे मूर्ख ! इन विषयों पे लिख के क्या दंगे कराएगा . तो इन विषयों पर कौन लिखेगा ? लिखेगा वो जिसका प्रकाशन वितरण नेट वर्क तगड़ा हो वही लिखेगा तू तो ऐसा कर गांधी को याद कर , ज़माना बदल गया बदले जमाने में गांधी को सब तेरे मुंह से जानेंगे तो ब्रह्म ज्ञानी कहाएगा ! गुरुदेव ,औरत की देह पर ? लिख सकता है खूब लिख इतना कि आज तक किसी ने न लिखा हो ******************************************************************************************
लोग बाग़ चर्चा करेंगे, करने दो हम यही तो चाहतें हैं कि इधर सिर्फ़ चर्चा हो काम करना हमारा काम नहीं है. " तो गुरुदेव, काम कौन करेगा ? जिसको काम करके रोटी कमाना हो वो करे हम क्यों हम तो ''राजयोग'' लेकर जन्में है.हथौड़ा,भी सहज और हल्का सा हो गया है . वेद रत्न शुक्ल,, की टिप्पणी अपने आप में एक पूरी पोस्ट बन गई इस ब्लॉग पर ***********************************************************************************इंक ब्लागिंग
Sunday, November 2, 2008
उमर-खैयाम की रुबाइयों के अनुवाद कर्ता कवि स्वर्गीय केशव पाठक
Friday, October 31, 2008
"चिंता ही नहीं चिंतन भी :
Wednesday, October 29, 2008
मित्र चर्चा 02 : राजीव गुप्त: जन्म दिन मुबारक़ हो
राजीव गुप्ता , है स्वर्गीय पत्रकार श्री "हीरालाल गुप्त मधुकर ",के पुत्र साथ ही एक कुशल संगठक मौनचिन्तक आज इअनके जन्म-दिवस पर हमारी और से हार्दिक शुभ कामनाएं
{छवि:साभार डाक्टर विजय तिवारी 'किसलय' के ब्लॉग "यहाँ से ", }मित्र चर्चा 01 : गणेश मिश्रा जी एक सफल चरित्र
Tuesday, October 14, 2008
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