Wednesday, October 29, 2008

मित्र चर्चा 01 : गणेश मिश्रा जी एक सफल चरित्र

जीवन में कष्ट फ़िर भी
शांत तरल सरिता प्रवाह, की बानगी........!! जी हाँ आत्म संघर्ष और सदा सादगी....!! न वो गुमसुम न मौन किंतु सहज सा मैं सोचूँ -"ये योगी कौन...!!" है साथ सबके मन में गागर गागर में होता है शांत-निर्मल-सागर !! चलो आज हम भी खोजेंगे व्यग्रता का मुख मोड़ेंगे । शांत-सहजता से नाता जोड़ेगें !! [मित्र गणेश मिश्रा के लिए एक कविता उनके व्यक्तित्व को छूने की कोशिश शायद सफल भी है.....?]

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