चिंता और ऊहापोह वश ,गुरुदेव ने ऐलान कर दिया-"सुनो....सुनो.....सुनो.....साहित्य लेखन के विषय चुक गए हैं...! "क्या................विषय चुक गए हैं ? हाँ, विषय चुक गए हैं ! तो अब हम क्या करें....? विषय का आयात करो कहाँ से .... ? चीन से मास्को से .....? अरे वही तो चुक गए हैं....! फ़िर हम क्या करें..........? लोकल मेन्यूफेक्चरिंग शुरू करो औरत का जिस्म हो इस पे लिखो भगवान,आस्था विश्वास....भाषा रंग ..! अरे मूर्ख ! इन विषयों पे लिख के क्या दंगे कराएगा . तो इन विषयों पर कौन लिखेगा ? लिखेगा वो जिसका प्रकाशन वितरण नेट वर्क तगड़ा हो वही लिखेगा तू तो ऐसा कर गांधी को याद कर , ज़माना बदल गया बदले जमाने में गांधी को सब तेरे मुंह से जानेंगे तो ब्रह्म ज्ञानी कहाएगा ! गुरुदेव ,औरत की देह पर ? लिख सकता है खूब लिख इतना कि आज तक किसी ने न लिखा हो ******************************************************************************************
लोग बाग़ चर्चा करेंगे, करने दो हम यही तो चाहतें हैं कि इधर सिर्फ़ चर्चा हो काम करना हमारा काम नहीं है. " तो गुरुदेव, काम कौन करेगा ? जिसको काम करके रोटी कमाना हो वो करे हम क्यों हम तो ''राजयोग'' लेकर जन्में है.हथौड़ा,भी सहज और हल्का सा हो गया है . वेद रत्न शुक्ल,, की टिप्पणी अपने आप में एक पूरी पोस्ट बन गई इस ब्लॉग पर ***********************************************************************************चलो चलते-चलते एक गीत हो जाए
अदेह के सदेह प्रश्न
कौन गढ़ रहा कहो ?
कौन गढ़ कहो ?
बाग़ में बहार में
सावनी फुहार में
पिरो गया किमाच कौन?
मोगरे हार में ?
और दोष मेरे सर कौन मढ़ गया कहो..?
एक गीत आस का
एक नव प्रयास सा
गीत था अगीत था
या कोई कयास था..!
ताले मन ओ'भाव पे कौन जड़ गया कहो ..?
जो भी सोचा बक दिया
अपना अपना रख लिया
असहमति पे आपने
सदा ही है सबक दिया
पग तले मुझे दबा कौन बढ़ गया कहो ..?
(आभारी हूँ जिनका :अंशुमाली रस्तोगी,मत विमत,पंचम जी और उनका जो सहृदयता से चर्चा का आनंद लेंगे )
और ब्लॉगवाणी के प्रति कृतज्ञ हूँ
1 comment:
TEEKHEE SE BAAT KAH DEE AAPANE
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