Tuesday, December 15, 2009

2009 में ब्लागिंग से प्राप्त अनुभव

वर्ष 2009 में अंतरजाल पर अपने भतीजे आभास-जोशी के लिए जो उस वक्त वाइस-आफ-इंडिया के प्रतियोगी थे के प्रमोशन के लिए प्रवेश किया था. सोच यह भी थी की हिंदी-साहित्य  से अंतरजाल कितना भरा-पूरा है जानूं....? सब कुछ मिला यहाँ पूर्णिमा बर्मन[purnimavarman2008.jpg] और श्रद्धा जैन जैसे गुरु मिले जिनको मैंने देखा कभी भी  नहीं किन्तु उनसे ब्लागिंग /नेट पर हिंदी में लेखन के गुर सीखे. तभी समीर लाल जी मिले जिनको वाकई भूल गया था मेरे तीसरे गुरु के रूप में सामने आए और फिर ब्लागिंग के नए पाठ लिखने का जुनून शुरू हुआ. मुझे होश रहा  नहीं कि ब्लॉग एक या दो बनाने चाहिए सो कई ब्लॉग बना दी फिर जब यह समझ में आया की एक या दो ब्लाग्स से पहचान ही पहचाने जाओगे तब तक सारे ब्लॉग मुंह बाए पोस्ट माँगते नज़र आने लगे दिखाई देते किन्तु अपने आप को नियंत्रित करते हुए मैंने. अब तय कर लिया है कि कुछेक दो या तीन ब्लाग्स पर की लेखन किया जावेगा. नए ब्लागर्स से अनुरोध है कि जो गलती मुझसे हुई उसे वे न दुहराएं.
वर्ष 2009 मेरे लिए एक प्रशिक्षण वर्ष था   इस वर्ष में कई ब्लॉगर को नंगी आँखों से देखने का अवसर मिला जो इ-मेल के ज़रिये फोन के ज़रिये इस उस को भड़काते नज़र आए. दो मित्रों के बीच युद्ध की स्थिति भी एक नामवर ब्लॉगर ने पैदा करा दी जबलपुर को अपमानित भी किया मेरे तथा भाई महेंद्र मिश्रा जी के बीच मतभेद पैदा कर दिए गए   किन्तु माँ नर्मदाhttp://www.narmadasamagra.org/hindi/images/stories/narmada_prikrama/rituals_-_nemavar_10.jpg की असीम अनुकम्पा से उनकी कोशिशें बेकार हो गईं हैं हम सभी एक नाव पर सवार होकर ब्लागिंग जात्रा पर हैं....
जबलपुर ब्रिगेड पर समृद्धि की झलक देखने-मिल रही है, बावरे-फकीरा के गीत को हिंद-युग्म के पाडकास्ट प्रभाग यानी आवाज़ ने एक और स्थान दिया वहीं दूसरी और खजाना को जबलपुर ब्रिगेड में बदलने के प्रयास के बाद जो सफलता मिली उसे देखकर हौसला बढ़ा 


मिलने से हर्षित हूँ समय के साथ साथ ब्लागिंग के इस काम में कई तरह के अच्छे-बुरे अनुभव मिले किन्तु मुझे केवल अच्छे अनुभव याद रखना है जिनमें प्रमुख है ऐसे अनुभव जिनकी वज़ह से हिंदी ब्लागिंग विश्व की श्रेष्ठतम ब्लागिंग कहलाए ...... मित्रो वो है सर्वकालिक मानव-कल्याण के लिए की गई चिट्ठाकारी यह चिट्ठाकारी न तो कनपुरिया है न जबलपुरिया वरन यह होगी "धनात्मक-विचारों से भरी" भारतीय चिट्ठाकारी जो न धर्मांध होगी न ठाकुर सुहाई वृत्ति की होगी इसमें पानी की टंकी पर चडाने की गुंजाइश न होगी न कोई किसी के कहने पर किसी पर कीच उड़ेलेगा.....! आइये करेंनई शुरुआत आज के लिए बस शुभ रात्री 
क्या जबलपुर ब्रिगेड को भारत-ब्रिगेड कर दिया जावे इस प्रश्न के उत्तर की तलाश में हूँ आपसे कोई मदद मिलेगी मुझे

Thursday, November 5, 2009

पाथेय ने दिया संस्था सव्यसाची को सम्मान


आयुक्त महानगर पालिका नागपुर श्री गुप्ता उपस्थित थे सव्यसाची को मिले सेवा श्री अलंकरण के अवसर पर
बतौर मुख्य अतिथि
अध्यक्ष

जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता की रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति डा0  आशुतोष श्रीवास्तव जी ने 



श्रीकाशीनाथ बिल्लोरे ने ग्रहण किया सम्मान
अवसर था श्रीमती राज लाश्मी शिवहरे की किताब का विमोचन


इस कृति की समीक्षा पृथक से प्रकाशित होगी शीघ्र ही 
                                         सव्यसाची कला ग्रुप कृतग्य है पाथेय का एवं राज लक्ष्मी  जी का

Thursday, October 29, 2009

आभार हिंदयुग्म :

दाता सुन ले- "बावरे फकीरा" के नेट लॉन्च के साथ नमन करते हैं शिरडी साईं बाबा को, साथ ही जानिए कि कैसा है लता की दिव्य आवाज़ में नए दौर का "जेल" भजन

ताजा सुर ताल TST (30) दोस्तों, ताजा सुर ताल यानी TST पर आपके लिए है एक ख़ास मौका और एक नयी चुनौती भी. TST के हर एपिसोड में आपके लिए होंगें तीन नए गीत. और हर गीत के बाद हम आपको देंगें एक ट्रिविया यानी हर एपिसोड में होंगें ३ ट्रिविया, हर ट्रिविया के सही जवाब देने वाले हर पहले श्रोता की मिलेंगें २ अंक. ये प्रतियोगिता दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह तक चलेगी, यानी 5 अक्टूबर के एपिसोडों से लगभग अगले 20 एपिसोडों तक, जिसके समापन पर जिस श्रोता के होंगें सबसे अधिक अंक, वो चुनेगा आवाज़ की वार्षिक गीतमाला के 60 गीतों में से पहली 10 पायदानों पर बजने वाले गीत. इसके अलावा आवाज़ पर उस विजेता का एक ख़ास इंटरव्यू भी होगा जिसमें उनके संगीत और उनकी पसंद आदि पर विस्तार से चर्चा होगी. तो दोस्तों कमर कस लीजिये खेलने के लिए ये नया खेल- "कौन बनेगा TST ट्रिविया का सिकंदर" TST ट्रिविया प्रतियोगिता में अब तक- पिछले एपिसोड में आये एक नए प्रतिभागी महिलाओं को चुनौती देने. चलिए हमारे कहने का असर हुआ, और विश्व दीपक तन्हा जी भी मैदान में कूद पड़े, पर 3 में से 2 जवाब सही दिए, एक जगह चूक कर गए. और उनकी भूल का फायदा उठा कर सीमा जी फिर 2 अंक चुरा लिए. सीमा जी का स्कोर हुआ है अब 12, तन्हा जी ने शानदार शुरुआत की 4 अंकों के साथ. दिशा जी अभी भी 2 अंकों पर जमी है, सभी को आज के लिए शुभकामनायें. सजीव - सुजॉय, आज का TST ख़ास है कुछ, लेकिन इससे पहले कि मैं ये बताऊं क्यों, मेरी तरफ से और पूरे युग्म परिवार की तरफ से आवाज़ के सबसे लोकप्रिय होस्ट को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ दे देता हूँ, जी हाँ दोस्तों आज सुजॉय का जन्मदिन है, मुबारक हो सुजॉय :) सुजॉय - धन्यवाद सजीव, और मेरे सभी साथियों का....शुक्रिया. सजीव - जानते हैं आज के दिन का एक और बहुत बड़ा महत्त्व है. शिरडी के साईं बाबा ने आज ही दिन देह त्याग कर स्वर्ग के लिए पलायन किया था. उनकी स्तुति का ये दिन बेहद ख़ास है देश विदेश में फैले बाबा के असंख्य भक्तों के लिए, आज हम भी TST पर बाबा सो नमन करते हुए एक ऐसा गीत सुनवाने जा रहे हैं, जो नेट पर आज पहली बार बजेगा.

सुजॉय - दोस्तो, आभास जोशी एक उभरते हुए गायक हैं जिन्होंने वॉइस ऑफ़ इंडिया प्रतियोगिता में विशेष जूरी सम्मान हासिल किया, बेहद कम उम्र में उनके गायन के चर्चे मशहूर हो चुके है और अब जल्दी ही बॉलीवुड में भी उनकी दस्तक गूँजेगी... सजीव - आभास जिन दिनों प्रतियोगिता का हिस्सा थे ये एल्बम "बावरे फकीरा" बाज़ार में आ चुकी थी, इस एल्बम के गीतकार गिरीश बिल्लोरे जी ने हमें बताया कि इस एल्बम की बिक्री से अर्जित आय को विकलांग बच्चों के लिए कार्य कर रही एक संस्था को दान कर दिया गया, यानी कि संगीत माध्यम से समाज के उद्धार का एक अच्छा उदहारण है ये.... सुजॉय - यकीनन, पर इससे पहले कि आज इस एल्बम के शीर्षक गीत को पहली बार नेट पर सुनें, स्वागत करें इस भजन के रचेता गिरीश बिल्लोरे और युवा गायक आभास जोशी का, जो आज हमारे बीच हैं....स्वागत है आप दोनों का TST में... सजीव - गिरीश जी आपने आभास के उत्थान में अहम भूमिका निभाई है, जहाँ तक मेरी जानकारी है ये आभास का पहला एल्बम है, तो क्या ये एल्बम आपने प्लान की आभास के लिए? गिरीश -सजीव जी,सबसे पहले हिन्द-युग्म परिवार का हार्दिक आभारी हूँ कि आपने "साईं-बाबा के बताए अध्यात्मिक चिंतन पर केंद्रित एलबम "बावरे-फ़कीरा" के इन्टर-नेट संस्करण की लांचिंग का कार्य किया है" जहां तक आभास के उत्थान में मेरे अवदान को आपने रेखांकित किया है यह आप का बडप्पन है। वास्तव में आभास को सेलिब्रिटि खुद आभास की मेहनत बाबा के आशीर्वाद ने बनाया। मैनें तो बस जो किया स्वर्गीया सव्यसाची मां प्रमिला देवी की प्रेरणा से किया. उसका लाभ आभास को मिला यह मेरा सौभाग्य है. बावरे-फ़कीरा एलबम की प्लानिग की ज़िम्मेदार दो घटनाएं हैं। शहर के एक सिंगर ने मेरे गीत फेंक दिए थे यह कह कर ये भी कोई गीत हैं। फिर गीत मैनें कम्पोज़ीशन मेरे करीबी परिचित संगीतकार ने गीतों को घर की पुताई में खो दिए कुल मिला कर उपेक्षा का शिकार मेरे भजन पांच साल तक गोया आभास का इंतज़ार कर रहे थे .... 2006 में श्रेयास जोशी ने संगीतबद्ध कर आभास के सुरों को सौंप दिये ये गीत। सजीव जी, मां के निर्देश पर साहित्य से मुझे रोटी नहीं कमाना था सो मैंने अपने एलबम पीड़ित मानवता की सेवा को समर्पित किया जाना उचित समझा। सुजॉय - आभास आप और तोशी उस मुकाबले में "वाईल्ड कार्ड एंट्री" से आये, निर्णायकों की ख़ास पसंद बने थे आप, इन सब का अब तक आप को क्या फायदा मिलता है जब आप किसी संगीतकार से संपर्क में आते हैं, 2007 में हुए उस मुकाबले से लेकर अपने अब तक के सफ़र के बारे में संक्षेप में हमारे श्रोताओं को बताएं? आभास -एक अदभुत दौर था। मैं क्या हममें से कोई भी भुला नहीं पा रहा है दर्शकों का प्यार करतें। निर्णायकों की महत्वपूर्ण टिप्पणियां, जो हमारे कैरियर के लिए सहयोगी ही साबित हुईं हैं। सुजॉय जी, 2007 में संग-ए-मरमर के शहर जबलपुर से मायानगरी गया आभास मुम्बई का ही हो गया है। बमुश्किल चार दिन का वक्त मिला है "जबलपुर" आकर दादी का दुलार पाने के लिये। सच मुझे वाइल्ड कार्ड एंट्री और निर्णायकों की पसंद बनने से लाभ ही हुआ है। काम मिला है दो फ़िल्में, बावरे-फ़कीरा के बाद दो और एलबम देश-विदेश में स्टेज़ शोज, कुल मिला कर कम समय में बाबा ने बहुत कुछ दिया सच साई दो दो हाथों से देने वाला दाता है। सजीव - क्या आपके बाकी प्रतिभागी साथी अभी भी संपर्क में हैं?, इश्मित की मौत का यकीनन आप सब को सदमा होगा ... आभास -सजीव जी, सभी नेट, फ़ोन के ज़रिये संपर्क में तो हैं..... किन्तु सभी भाग्यशाली हैं यानी सभी व्यस्त हैं अत: मुलाकातें कम ही हो पातीं हैं। इश्मीत की याद आते ही वो दिन इतने याद आतें हैं कि अपने आप को रोकना मुश्किल हो जाता है। कोई न कोई बात आंखों को भिगो ही देती है। 29 जुलाई को इश्मीत जी की पहली पुण्यतिथि पर हम सभी लुधियाना गए थे। मोम से बनाए इश्मीत जी के स्टैच्यू देख कर लगा बस अब इश्मीत उठेंगें और छेड देंगे तान। ईश्वर इश्मीत को एक बार और हमारे बीच भेजे। सुजॉय - गिरीश जी जैसा की आपने बताया कि आपके एल्बम का एक सामाजिक पक्ष भी था, क्या आगे भी आभास के साथ मिलकर आपकी ऐसी कोई योजना है जिससे संगीत माध्यम से समाज के कल्याण में योगदान हो सके। गिरीश - जी हां, सच है बाबा के आशीर्वाद से मध्य-प्रदेश राज्य सरकार में बाल विकास परियोजना अधिकारी हूँ। रोज़गार मेरी समस्या नहीं है। सव्यसाची ने कहा था "तुम्हारी कविता समाज का कल्याण करे" सो इस एलबम से प्राप्त आय जबलपुर में आयी लाइफ़ लाइन एकस्प्रेस की व्यवस्था हेतु जिला प्रशासन को दी गई है। आगे भी जो लाभ होगा उससे पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद जारी रहेगी जिसका ज़िम्मा सव्यसाची कला ग्रुप को सौंपा है। आगे भी मेरा प्लान नेत्रहीन-भिक्षुक के तम्बूरे से बिखरी संगीत रचनाओं को आपके समक्ष लाना यह प्रोजेक्ट भी अब मेरे पास है शीघ्र ही सबके हाथों होगा जिसकी आय नेत्रहीन व्यक्तियों की मदद हेतु होगी। सजीव - आभास आपकी आवाज़ में एक अलग सी ही कशिश है, हम तो यही दुआ करेंगें कि जल्दी आप हिंदी सिनेमा के जाने माने पार्श्व गायकों की कतार में शामिल हो जाएँ, आपको और गिरीश जी को हमारी शुभकामनाएं। आभास - उन दिनों जब मैं वी ओ आई का प्रतिभागी था मेरे जितेन्द्र चाचा और गिरीश चाचा ने हिन्द-युग्म की साईट खोल कर बताया था कि आपने मुझे कितना संबल दिया। सच, हिंद-युग्म ने एक ये और काम किया कि नेट पर मेरे गाए एलबम को ज़गह दी, आभार के शब्द कम पड़ रहे हैं। बस कृतज्ञ हूँ कह पा रहा हूँ। गिरीश - हिन्द-युग्म ने "बावरे-फ़कीरा" के नेट संस्करण की लांचिंग का जो कार्य किया है उसका हार्दिक आभारी हूँ। बावरे फकीरा (आभास जोशी) आवाज़ रेटिंग - लागू नहीं.

Wednesday, October 28, 2009

"सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर सम्मानित होगा "

संस्कारधानी जबलपुर साहित्यिक संस्था पाथेय द्वारा पोलियो ग्रस्त बच्चों की सहायता हेतु तैयार किए "बावरे-फकीरा एलबम" की प्रस्तुति एवं उससे प्राप्त धन राशि का सदुपयोग करने वाली संस्था "सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर सम्मानित करने का निर्णय लिया है" सव्यसाची कला ग्रुप को सेवाश्री अलंकरण रविवार दिनांक 01 नवम्बर 2009 को होम सायंस प्रेक्षा गृह में प्रदान किया जाएगा
"सव्यसाची कला ग्रुप पाथेय के प्रति कृतज्ञ है "

Thursday, October 15, 2009

हिंद युग्म पर बावरे-फकीरा का शीर्षक-गीत गीत


बावरे-फकीरा को हिंदयुग्म ने आज आवाज़ पर प्रकाशित किया है . सव्यसाची कला ग्रुप हिंदयुग्म परिवार का  कृतज्ञ है  
 गीत सुनाने "यहाँ " क्लिक कीजिए




Tuesday, October 6, 2009

Sunday, September 27, 2009

विजया दशमी "मुदिता का महापर्व"






                                                                  
"विजयादशमी-पर्व" पर हार्दिक शुभ कामनाएं

Tuesday, August 4, 2009

ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी

उसको नहीं देखा हम ने कभी पर इसकी ज़रूरत क्या होगी ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी उसको नहीं देखा हम ने कभी… इंसान तो क्या देवता भी आँचल में पले तेरे है स्वर्ग इसी दुनिया में कदमों के तले तेरे ममता ही लुटाये जिसके नयन ओ ओ… ममता ही लुटाये जिसके नयन ऐसी कोई मूरत क्या होगी ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी उसको नहीं देखा हम ने कभी… क्यूँ धुप जलाये दुखो की क्यूँ ग़म की घटा बरसे ये हाथ दुआओं वाले रहते हैं सदा सर पे तू है तो अंधेरे पथ में हमें ओ ओ.. तू है तो अंधेरे पथ में हमें सूरज की ज़रूरत क्या होगी ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी उसको नहीं देखा हम ने कभी… कहते हैं तेरी शान में जो कोई ऊँचे बोल नहीं भगवान के पास भी माता तेरे प्यार का मोल नहीं हम तो ये ही जाने तुझ से बड़ी ओ ओ.. हम तो ये ही जाने तुझ से बड़ी संसार की दौलत क्या होगी ऐ माँ, ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, क्या होगी उसको नहीं देखा हम ने कभी…
साभार "y तरुण जी " के ब्लॉग

गीत सुनाने के उसको नही देखा हमने कभी

par चटका लगाएं

Thursday, May 28, 2009

धरा से उगती उष्मा , तड़पती देहों के मेले दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो

धरा से उगती उष्मा , तड़पती देहों के मेले दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो यहाँ उपभोग से ज़्यादा प्रदर्शन पे यकीं क्यों है तटों को मिटा देने का तुम्हारा आचरण क्यों है तड़पती मीन- तड़पन को अपना कल समझ लो दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो मुझे तुम माँ भी कहते निपूती भी बनाते हो मेरे पुत्रों की ह्त्या कर वहां बिल्डिंग उगाते हो मुझे माँ मत कहो या फिर वनों को उनका हक दो दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो मुझे तुमसे कोई शिकवा नहीं न कोई अदावत है तुम्हारे आचरण में पल रही ये जो बगावत है मेघ तुमसे हैं रूठे , बात इतनी सी समझ लो दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो

Friday, May 22, 2009

Check out जीतिए रु 1000 का इनाम प्रतिमाह, 14 राकेश खंडेलवाल की पुस्तकें और हज़ारों पाठकों की नज़र-ए-इनायत

Title: जीतिए रु 1000 का इनाम प्रतिमाह, 14 राकेश खंडेलवाल की पुस्तकें और हज़ारों पाठकों की नज़र-ए-इनायत
Link: http://gotaf.socialtwist.com/redirect?l=212583822614814824811&i=9f6fef5c3b33f47ea6f04b7694e41a87

बावरे-फकीरा टायटल भजन जो आपको पसंद आए

सुधि साथियो साईं राम शायद आप इस ब्लॉग को अनदेखा न कर पाएंगे . आशा है आप को पसंद आएगा यह भजन

Sunday, May 17, 2009

रेडियो सबरंग : आपको वो मिलेगा यहाँ जो आप तलाशतें हैं ...!

http://l.yimg.com/t/news/jagran/20080117/16/klsaigal_fix-1_1200587411_m.jpgकुंदन लाल सहगल सी एच आत्मा
कुंदन लाल सहगल जी के स्वरों में सजी ग़ज़ल को सुनना शायद आज किसी को पसंद हो हो किंतु जिनको इसकी तलाश है उनकी तलाश एक क्लिक से ख़त्म हो सकती है इतना ही नहीं सी एच आत्मा के सुर में आप सुन उस दौर का मशहूर गीत प्रीतम आन मिलो सुन सकतें हैं
"रेडियो सबरंग टीम का आभार "

Saturday, April 25, 2009

आज से इलाज़ शुरू करेगी "लाइफ लाइन एक्सप्रेस "

सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर की प्रस्तुति "..बावरे फकीरा "

..लांच हुआ था १४ मार्च को

(पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु साईं भक्ति एलबम )

स्वर:आभास जोशी श्रीमती संदीपा पारे * संगीत:श्रेयस जोशी * रिदम प्रोग्रामर:लोकेश मालवीय

*गीत एवं परिकल्पना :गिरीश बिल्लोरे मुकुल * रिकार्डिस्ट : आशीष सक्सेना स्वर-दर्पण

कोरस : सुलभा एवं श्रद्धा बिल्लोरे,आदित्य सूद,किरण जोशी,निष्ठा,अनुभव,स्वाति सराफ,योगेश चान्द्रायण मुकुंद राव नायडू,मिली एवं श्री प्रकाश दीवान,

संपर्क:-सव्यसाची कला ग्रुप 969/A गेट नंबर 04 जबलपुर (M.P.)

Email: girishbillore@gmail.com,swysachi@hotmail.com, girishbillore@hotmail.com

आज जबलपुर के रेलवे प्लेट फार्म-चार पर खड़ी लाइफ लाइन एक्सप्रेस में इलाज़ होगा उनका जो

श्रवण-बाधित,कटे-फटे होंठ,अस्थि-बाधित,दृष्टि । आपको स्मरण होगा सव्यसाची कला ग्रुप के सदस्यों ने २५ हज़ार की राशी

आप भी सहयोगी हो सकतें हैं............!

Saturday, April 18, 2009

हरिभूमि की अंशु ने भी ब्लागिंग अपना ली

नाम से अंशु ने अपना ब्लॉग शुरू किया है । हरिभूमी जबलपुर की पत्रकार के ब्लॉग स्ट्रक्चर तक पहुँचिये ।

Monday, April 6, 2009

बावरे-फकीरा :प्राप्ति हेतु संपर्क कीजिये

बाबा की असीम अनुकम्पा से "बावरे-फकीरा'' एलबम की लोकप्रियता एवं इसके धन संग्रह 14 मार्च 2009 से 31 मार्च 2009 के बीच रुपये 41,000/= लगभग की राशि एकत्र की जा चुकी है जिसका एक हिस्सा लाइफ लाइन एक्सप्रेस के लिए "सौंपा " जा चुका है । आप भी पोलियो ग्रस्त बच्चों की मदद के लिए-तदाशय की जानकारी देते हुए सव्यसाची कला ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष श्री सतीश बिल्लोरे ने बताया कि"सव्यसाची कला ग्रुप द्वारा शीघ्र ही संगृहीत राशि पुन: जिला प्रशासन को भेंट की जा रही है " आप विकलांग बच्चों की मदद में भागीदार हो सकतें है केवल पचास रुपये की राशि दान स्वरुप भेज कर आपके दिए हुए पते पर एलबम की प्रति भेजी जावेगी । ईमेल: girishbillore@gmail.com डाक का पता : सव्यसाची कला ग्रुप, 969 A - 2 गेट नंबर चार जबलपुर कनाडा में एलबम प्राप्ति हेतु संपर्क कीजिये : समीर लाल जी से शेष विश्व में भारत वंशियों के लिए एलबम प्राप्ति हेतु संपर्क केन्द्र हेतु ई-मेल कीजिये girishbillore@gmail.com

Monday, March 16, 2009

बावरे फकीरा के विमोचन को आज दो दिन बीतने के बाद नींद थकान दूरके कारण भूल गया था की कोई पोस्ट लिखनी है . सो सुधि मित्र माफ़ करेंगें. वैसे मुझे उम्मीद थी की ब्लागर्स मुझे शब्द संबल तो देंगे ही किंतु भाई समीर लाल भाई विजय तिवारी किसलय जी , भाई बवाल,डूबे जी , शैली माधव जी ,जिनने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर संबल दिया को छोड़कर सिर्फ़ प्रमेन्द्र जी ही वो व्यक्ति रहे जिन्हौने एक पोस्ट दी भगवान बाबा इन सभी ब्लागर्स को विश्व फलक पर सदैव प्रखर और मुखर रखें . जो ब्लॉगर इस और ध्यान नहीं दे पाए उनको बताना चाहूंगा कि : मुझे सदैव निराशा देने वाले मित्रों में से एक मित्र ने कहा :"भाई,गिरीश सच ईश्वर के अस्तित्व को नकारना ग़लत होगा मुझे यकीन नहीं हो रहा कि 1500 से अधिक लोग सभागार में उतने ही बाहर से प्रतीक्षारत ?"

अशेष शुभ कामनाओं के साथ

Monday, March 2, 2009

समीर जी १४ मार्च याद रखिए जी ..?

{स्वर्णिम,अंकुर,गिरीश,आभास,नानाजी,आशीष-सक्सेना,श्रेयस जोशी ये है बावरे फकीरा टीम }
मुझे विश्वास नहीं हो रहा पर सच है साईनाथ ने दो हाथों से खुशियाँ दे दी मुझे दो बरस से ज़्यादा वक़्त बीत गया ... "बावरे-फकीरा" को बने मुझे लगा शायद जनता के बीच जा सकेगा ......ईश्वर की मर्ज़ी यही थी कि जब लाइफ लाइन ट्रेन जबलपुर आएगी तभी एलबम लांच होगा जी हाँ यही सच था है और रहेगा....! अप्रैल माह में लाइफ लाइन एक्सप्रेस ...........जबलपुर आयेगी। समय से पहले कुछ होना सम्भव नहीं हर काम का समय तय शुदा है... यही ईश्वर की करामात है। अब साई और क्या कमाल करेंगे मेरा मन उन ही छोड़ता अपना और "बावरे-फकीरा"का कल आज और कल............यानी सब कुछ "रब की मर्ज़ी पर " कट पेस्ट लाइफ लाइन एक्सप्रेस के बारे में उनकी आधिकारिक साइट से साभार It was a simple dream. All it wanted was that people should not, through neglect or ignorance, become disabled or crippled, and thus robbed of health, productivity and joy, and that disabled persons especially in rural India should have access to medical services wherever they be. On 16th of July, 1991, this dream came true, when Impact India's Lifeline Express, the world's first hospital on a train, was launched. Over 400,000 Indians have so far benefited from the remarkable train, and other countries have come forward to start their Lifeline Express on which major surgeries have been performed to restore movement, hearing, sight and correction of clefts. As the dream comes of age today on its 16th Anniversary, Impact proves that when the vision is clear, and the will is firm, hands will always rise to help, and that the human spirit resolved to reach out to help cannot be stopped. You, too, can help. * UPA Chairperson, Honourable Sonia Gandhi's address at the inauguration of the new five-coach Lifeline Express on July 12 th, 2007 at the National Rail Museum, New Delhi Extracts from Honourable Union Railway Minister Lalu Prasad's address at the inauguration of the new five-coach Lifeline Express on July 12 th, 2007 at the National Rail Museum, New Delhi. The Magic Train of India Miraculously, a hospital that comes to its patients "You know," said Jawaharlal Nehru one day, " sometime you ought to use a train, the Indian Railways. It is most efficient and covers every village. " When Pandit Nehru voiced himself to Sir John Wilson, a prominent British Advocate for the disabled, founder of IMPACT, little did Panditji realize that his words would some day germinate the concept of a hospital-train. The leaders of Impact India took up the challenge of turning Sir John's idea into reality and created the Lifeline Express ( Jeevan Rekha ), bringing the benefits of modern medicine free of cost to millions of poor villagers in rural India. The Train carries hope for the crippled children of India The Lifeline Express, the world's first hospital on a train, for outreach into inaccessible rural areas where medical services are not available; offering on-the-spot diagnostic, medical and advanced surgical treatment for preventive and curative interventions for the handicapped, using the Indian Railway Network which is the largest in the world comprising about 63,500 kilometres of tracks. The LIFELINE EXPRESS hospital train has become a model for transfer of Indian appropriate technology to setting up similar projects in China, Zimbabwe and a hospital river boat "Jibon Tori", in Bangladesh. This project has been developed in collaboration with the Indian Railways and Health Ministry. It has been funded by Impact UK, international charitable sources, Indian corporate houses and individuals. · Restoration of sight through cataract operations and providing Intra Ocular Lenses (Assessment of curvature of cornea by a Keratometer) · Restoration of hearing through surgery and supply of hearing aids * Correction of clefts through surgery * Counselling and referral services · Follow-up of patients' progress through arrangements with local authorities · Preventive services in the form of immunization, administration of nutrients, and creating health awareness among the deprived in the neglected rural and semi-urban areas · Opportunity provided to medical and other voluntary personnel to work in a unique field situation · Teaching surgeons, working in smaller towns, the finer skills of micro-surgery · Training health workers, doctors and other Non-Government Organisation's on various health issues Top By ensuring access to such services for the needy and the deprived in the remote areas, the Lifeline Express not only renders a much needed service but also raises the efficiency level of the existing local government and voluntary health infrastructure. It also encourages the local bodies of the area, who are involved in all aspects of the programme, to provide follow-up services after the Lifeline Express has departed. It leaves behind much greater awareness and a better motivated administration for the handicapped. It serves a similar purpose among the voluntary agencies and the general population. And last but not the least, it creates awareness about this easily replicable project. At the macro level too, the Lifeline Express creates awareness and motivation for the cause of the handicapped, across a wide cross section, since various agencies particularly the Government, business houses, voluntary organisations and individual volunteers are involved in each programme. The extensive media interest which the Lifeline Express invariably generates also aids this process and consequently, the impact generated is beyond the medical services provided by each individual Lifeline Express project. Impact India and its Lifeline Express are committed to combat the appalling loss of productive life and economic

Monday, February 23, 2009

In the memory of

Late Savyasachi Mrs. Pramila Billore

Savysachi ,Group Jabalpur

Presents:

Baware-Faqeera

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Respected

Sir/Madam,

Om-Sai-Ram With due respect . This is to bring to your notice that we are launching album “Baware-Faqira” (sung by mesmerizing singer Aabhas Joshi) on 14 MARCH 2009 at 07:30 at Manas-Bhavan , Jabalpur . in presence of Abhas Joshi This is to bring to your notice that profit earned through this album will be given to District Administration Jabalpur for making arrangement of Lifeline Express. Health services provider for remote areas of India You are cordially invited for the event

Girish Billore “Mukul”

Lyricist & producer (Hon.) *************************************************************************************

Singer: Aabhas Joshi, Sandeepa Music:Shreyash Joshi

Lyricist: Girish Billore”Mukul”, Studio: Swar-Darpan

Sunday, February 1, 2009

आज एक पहेली :

किसी ने क्या खूब कहा "सलीका चाहिए फूलों की गुफ्तगूँ के लिए " कोई बताएँ पूरा शेर क्या है बताइये

Thursday, January 29, 2009

"खुला ख़त :संकीर्ण विचारों वाले न बांचें ?

मित्र ............जी सादर अभिवादन आपका ख़त मिला . मेरी सेहत ठीक है कोई बुखार ताप नहीं है मज़ा आ गया . ख़त का मज़मून और लिफाफा भा गया बिना प्रयास के मेरा नाम विवादों के आकाश में छा गया नाम तो हुआ मेरा भी मेरे शहर का भी सच्चे सहज प्रयासों को धक्का लगा कर आप ने जो कोशिश की उससे मुझे और हिम्मत मिली मित्र ने मित्र का फ़र्ज़ निबाहा अच्छा लगा. इस शहर में कईयों ने ये भोगा है ऐसी-मित्रता का दंश । इन कईयों को उस पशु कि श्रेणी में रखा जाना चाहिए जिसे एक ख़ास प्रजाति का प्राणी कोसता है। उस पशु का तब तक कुछ नहीं होता जब तक की उसकी वय-पूर्ण नहीं होती।

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हमारी एक मित्र सहकर्मीं हैं सर--पा ईमानदार मानतीं हैं ख़ुद को ।उनकी इमानदारी का चिंतन सभी को अच्छा लगता रहा किंतु एक बार जब स्नेह वश उनसे एक पिकनिक पार्टी की व्यवस्था एवं आयोजन का अनुरोध किया तो वे कह उठीं :-"भाई,तनखा के बूते यह सम्भव नहीं है अपने बच्चे पालने हैं हमें ..." सच सहजता स्नेह वश अनुरोध करनें ओर सुनाने वाले धारा शाही हो गए । उनको लगा की श्रीमती क अपनी तथा कथित ईमानदारी का उल्लेख नहीं शेष सभी को बेईमान साबित कर रहीं हैं

Tuesday, January 27, 2009

अंतस दीप जागाने आओ !

"जबलपुरिया चिट्ठाचर्चा "चर्चाकार जी का आभार , त्रुटी के लिए माफी की दरकार मित्र मिश्र जी रपट न लिख पाया इसके लिए माफी चाहता हूँ इसके लिए पोस्ट की क्या ज़रुरत थी मैं ने रपट इस कारण नहीं लिखी थी कि संजू भैया की पोस्ट आ ही गयी थी . अगर रपट मेरे ब्लॉग पर आप देखना चाहतें हैं तो संजू भैया से पूछ के कट पेस्ट कर देता हूँ . आपकी पोस्ट पर बेहतरीन टिप्पणियाँ आयीं अति आनंदित हूँ !!

रंजन ने कहाअच्छी रही चर्चा, उम्मीद है कि जल्द ही ये कई पन्नों में होगी.. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं

Udan Tashtari ने कहाबेहतरीन जबलपुरिया चर्चा. वैसे ब्लॉगर मीट का विवरण ऑफिशियल यहाँ पर आ चुका है: http://sanjusandesha.blogspot.com/2009/01/blog-post_3588.html संजय भाई भी नये जबलपुरिया ब्लॉगर हैं. आपकी शुभकामनाओं का बहुत आभार आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

P.N. Subramanian ने कहाजबालीपट्टनम की जय हो.

विनय ने कहागणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ---आपका हार्दिक स्वागत है गुलाबी कोंपलें

PD ने कहाअजी बिलकुल आगे भी जारी रहेगा यह चिट्ठाचर्चा.. इत्ता बढ़िया जो लिखे हैं.. :)

संगीता पुरी ने कहाबहुत अच्‍छा.....गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

विष्णु बैरागी हमें तो लगा, हम भी इस मीट में शामिल हैं। अच्‍छा लिखा है आपने।

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन : आपके लघु-सम्मलेन के बारे में जानकर अच्छा लगा!

Sunday, January 18, 2009

सौतन - सौ तन हो गयी,सत्यम शिवम् संजोग

मन मोहन संग रास-रस,अंग-अंग सकुचाय !अनुभव मत पूछो सखि ,मोसे कहो नै जाय !! देखूं तो प्रिय के नयन,सुनूं तो प्रिय के गीत ! हिय हारी मैं तुम कहो, तभी तो मोरी जीत !! मैं प्रियतम की बावरी,प्रीत रंग चहुँ ओर ! आई मधु ऋतु ,देने पीर अछोर !! आज मिलन की यामिनी,मणि-कंचन संजोग सौतन - सौ तन हो गयी,सत्यम शिवम् संजोग

एक ख़ास सूचना ब्लागर्स के लिए !!

"उडन तश्तरी "की सदारत में ब्लागर्स मीट 19 जनवरी 2009 को ब्लागर्स-मीट विद डिनर एट 08:15 की तैयारी में हैं . मीट शुद्ध शाकाहारी भोजनालय रूपाली इन जबलपुर में आयोजित है , जो भी भाई ब्लॉगर हैं सादर आमंत्रित हैं समय का विशेष ध्यान रखा जावे रात्रि 08:15 से होटल बंद होने के 5 मिनट पूर्व तक ताकि आपका परिवार आपकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने का कष्ट न उठाना पड़े भवदीय गिरीश बिल्लोरे मुकुल

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