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शांत तरल सरिता प्रवाह,
की बानगी........!!
जी हाँ आत्म संघर्ष और सदा सादगी....!!
न वो गुमसुम
न मौन
किंतु सहज सा मैं सोचूँ
-"ये योगी कौन...!!"
है साथ सबके मन में गागर
गागर में होता है
शांत-निर्मल-सागर !!
चलो आज हम भी खोजेंगे
व्यग्रता का मुख मोड़ेंगे ।
शांत-सहजता से नाता जोड़ेगें !!
[मित्र गणेश मिश्रा के लिए एक कविता उनके व्यक्तित्व को छूने की कोशिश शायद सफल भी है.....?]
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