Tuesday, September 30, 2008

बाबा हरभजन सिंह मन्दिर फोटो ब्लॉग

बाबा के मन्दिर में बाबा को माथा टेकने जाते दर्शनार्थी
बाबा राम भक्त हनुमान के समान ही प्रतीत होते हैं , जो भारत भूमि की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं आज भी अपनी उपस्थिति का एहसास करा देते है बाबा के अवकाश पर प्रस्थान के लिए आज भी सरकार वो पूरी व्यवस्था करतीं हैं जो एक सैनिक के लिए ज़रूरी होता है सच इन सीमाओं की रक्षा इसी तरह से होती है 'Baba' Harbhajan Singh: Immortal soldier शीर्षक से प्रकाशित यह आलेख देखी जो रैडिफ़ न्यूज़ पर है September 15, 2006 18:05 IST "True soldiers are immortal", this popular saying appears true at least in the case of "Baba" Harbhajan Singh [Images]. "Baba" Harbhajan Singh of the Dogra Regiment died near the Nathula Pass in eastern Sikkim.

According to legend, Harbhajan Singh drowned in a glacier during the 1962 Sino-Indian War. A manhunt was launched to find him. He was found three days later and cremated with full military honours. It was said Harbhajan led the search party to his body, and later, through a dream, instructed one of his colleagues to build and maintain a shrine after him. A shrine was built at his samadhi in the hills. Army folklore holds Baba is a stickler for discipline and is known to admonish those who do not tow this line.

A camp bed is kept for him and his boots are polished and uniform kept ready every night. The sheets are reportedly crumpled every morning and boots muddy by evening. The soldier continues to draw a salary and takes his annual leave. Legend also has it that in the event of a war between India and China, Baba would warn the Indian and Chinese soldiers three days in advance.

During the flag meetings between the two nations at Nathula, the Chinese set a chair aside for the saint. Every year on September 14, a jeep departs with his personal belongings to the nearest railway station, New Jalpaiguri, where it is then sent by train to the village of Kuka, in Kapurthala district in Punjab.

A small sum is also sent to his mother each month. His name still continues in the army's payrolls, his mother has still been getting his salary cheques and he has also been given all due time bound promotions.

Accordingly, presently the late soldier is treated as honorary captain. He is granted two months annual leave every year, a berth is booked in train in his name and his portrait, uniform and other belongings are brought by army officials to his native village Kuka in Kapurthala district for availing leave.

Under this annual drill, belongings of "Baba" Harbhajan Singh were brought to Jalandhar from New Jalpaigudi by Dibrugarh Express on Thursday night.

A JCO, a Subedar and an Orderly accompanied the belongings. The family of the late soldier received the belongings at the railway station and later proceeded for their native village. On completion of the leave the same team of the army personnel will escort back the belongings to the Nathu La region.

एक और आलेख
Baba Harbhajan Singh: A story of a dead sepoy, जो Sikkim: A Himalayanreview, पर प्रकाशित है ब्लॉगर मनीष कुमार के चिट्ठे एक शाम मेरे नाम पर सफर सिक्किम का: छान्गू झील, नाथू ला और बाबा मन्दिर एक पोस्ट है कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** , पर एक अन्य पोस्ट [-क्या मरने के बाद भी जीवन है ]में विस्तार से हिन्दी में लिखी गयी पोस्ट को यहाँ पुन:प्रकाशित करने का दू:स्साहस कर रहा हूँ किंतु रंजू जी ने कॉपी पेस्ट वर्जित किया है सो लिंक डाले देता हूँ http://ranjanabhatia.blogspot.com/2008/01/blog-post_12.html,

शिर्डी साईं को समर्पित "बावरे-फकीरा"

A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABA DEVOTIONAL ALBUM "BAWARE FAQEERA" VOICE :- *AABHAS JOSHI "STAR T.V.VOICE OF INDIA" {Jabalpur} *SANDEEPA PARE {Bhopal} MUSIC:- *SHREYASH JOSHI {Jabalpur} LYRICS:- *GIRISH BILLORE"MUKUL"{Jabalpur} sairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsa THIS DEVOTIONAL ALBUM WILL CONTRIBUTE FOR THE DISABLED CHILDREN SUFFERING FROM POLIO COME FORWARD FOR THIS CHARITY CAUSE & CONTRIBUTE FOR THE SUCCESS OF THE ALBUM PL.FORWARD THIS INFORMATION TO YOUR "FRIENDS/RELATIVES/ORGANISATION(S) GROUP/SAI-BHAKT ETC". ******************** FOR FURTHER DETAILS & YOUR SUGESSTIONS CONTACT [1] girishbillore@gmail.com
[4] PHONE 09926471072 [5] PHONE 09424604554 sairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsairamsa

Tuesday, September 23, 2008

आतंकवाद बनाम कबीलियाई वृत्ति

इस पोस्ट के लिखने के पूर्व मैंने यह समझने की कोशिश की है कि वास्तव में किसी धर्म में उसे लागू कराने के लिए कोई कठोर तरीके अपनाने की व्यवस्था तो नहीं है........?किंतु यह सत्य नहीं है अत: यह कह देना कि "अमुक-धर्म का आतंकवाद" ग़लत हो सकता है ! अत: आतंकवाद को परिभाषित कर उसका वर्गीकरण करने के पेश्तर हम उन वाक्यों और शब्दों को परख लें जो आतंकवाद के लिए प्रयोग में लाया जाना है. इस्लामिक आंतकवाद , को समझने के लिए हाल में पाकिस्तान के इस्लामाबाद विस्फोट ,पर गौर फ़रमाएँ तो स्पष्ट हो जाता है की आतंक वाद न तो इस्लामिक है और न ही इसे इस्लाम से जोड़ना उचित होगा । वास्तव में संकीर्ण कबीलियाई मानसिकता का परिणाम है। भारत का सिर ऊँचा करूँगा-कहने वाले आमिरखान,आल्लामा इकबाल,रफी अहमद किदवई,और न जाने कितनों को हम भुलाएं न बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे घटना क्रम को बारीकी से देखें तो स्पष्ट हो जाता है की कबीलियाई समाज व्यवस्था की पदचाप सुनाई दे रही थी जिसका पुरागमन अब हो चुका है, विश्व की के मानचित्र पर आतंक की बुनियाद रखने के लिए किसी धर्म को ग़लत ठहरा देना सरासर ग़लत है । हाँ यहाँ ये कहा जा सकता है की इस्लामिक-व्यवस्था में शिक्षा,को तरजीह ,देने,संतुलित चिंतन को स्थापित कराने में सामाजिक एवं धार्मिक नेतृत्व असफल रहा है जिससे अच्छी एवं रचनात्मकता युक्त सोच का अभाव रहा इस्लामिक-देशों की आबादी के । डैनियल पाइप्स.की वेब साईट http://hi.danielpipes.org/ पर काफी हद तक स्पस्ट आलेख लिखे जा रहे हैं जिसका अनुवाद अमिताभ त्रिपाठी कर रहें हैं । अब भारत को ही लें तो भारत में पिछले दशकों में प्रांतीयता,भाषावाद,क्षेत्र-वाद की सोच को बढावा देने की कोशिश की जा रही है इस पर आज लगाम न लगाई गयी तो तय शुदा बात है भारतीय-परिदृश्य में भी ऐसी घटनाएं आम समाचार होंगी। आतंक को रोकने किसी भी स्थिति में किसी साफ्ट सोच का सहारा लेने की कोई ज़रूरत नहीं,आतंक वाद को रोकने बिना किसी दुराग्रह के कठोरता ज़रूरी है चाहे जितनी बार भी सत्ताएं त्यागनी पड़ें , हिंसा को बल पूर्वक ही रोका जाए।

Monday, September 15, 2008

अमिय पात्र सब भरे भरे से ,नागों को पहरेदारी

अमिय पात्र सब भरे भरे से ,नागों को पहरेदारी
गली गली को छान रहें हैं ,देखो विष के व्यापारी,
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मुखर-वक्तता,प्रखर ओज ले भरमाने कल आएँगे
मेरे तेरे सबके मन में , झूठी आस जगाएंगे
फ़िर सत्ता के मद में ये ही,बन जाएंगे अभिसारी
..................................देखो विष के व्यापारी,
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कैसे कह दूँ प्रिया मैं ,कब-तक लौटूंगा अब शाम ढले
बम से अटी हुई हैं सड़कें,फैला है विष गले-गले.
बस गहरा चिंतन प्रिय करना,खबरें हुईं हैं अंगारी
..................................देखो विष के व्यापारी,
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लिप्सा मानस में सबके देखो अपने हिस्से पाने की
देखो उसने जिद्द पकड़ ली अपनी ही धुन गाने की,
पार्थ विकल है युद्ध अटल है छोड़ रूप अब श्रृंगारी
..................................देखो विष के व्यापारी,

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