Sunday, March 16, 2008

होली तो ससुराल

होली तो ससुराल की बाक़ी सब बेनूर सरहज मिश्री की डली,साला पिंड खजूर साला पिंड-खजूर,ससुर जी ऐंचकताने साली के अंदाज़ फोन पे लगे लुभाने कहें मुकुल कवि होली पे जनकपुर जाओ जीवन में इक बार,स्वर्ग का तुम सुख पाओ..!! ######### होली तो ससुराल की बाक़ी सब बेनूर न्योता पा हम पहुंच गए मन संग लंगूर, मन में संग लंगूर,लख साली की उमरिया मन में उठे विचार,संग लें नयी बंदरिया . कहत मुकुल कविराय नए कानून हैं आए दो होली में झौन्क, सोच जो ऐसी आए ...!! ######### होली तो ससुराल की ,बाक़ी सब बेनूर देवर रस के देवता, जेठ नशे में चूर , जेठ नशे में चूर जेठानी ठुमुक बंदरिया ननदी उम्र छुपाए कहे मोरी बाली उमरिया . कहें मुकुल कवि सास हमारी पहरेदारिन ससुर देव के दूत जे उनकी हैं पनिहारिन..!! ######### सुन प्रिय मन तो बावरा, कछु सोचे कछु गाए, इक-दूजे के रंग में हम-तुम अब रंग जाएं . हम-तुम अब रंग जाएं,फाग में साथ रहेंगे प्रीत रंग में भीग अबीरी फाग कहेंगे ..! कहें मुकुल कविराय होली घर में मनाओ मंहगे हैं त्यौहार इधर-उधर न जाओ !!

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