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Thursday, February 7, 2008
" विधि आयोग ने भारत में लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष
नई दिल्ली। विधि आयोग ने भारत में लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने की सिफारिश की है।आयोग के अघ्यक्ष न्यायमूर्ति ए.आर. लक्ष्मण ने विधिमंत्री हंसराज भारद्वाज को उत्तराधिकार कानून और बाल विवाह के बारे में आज यहां सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है।आयोग के विशेषज्ञ कीर्ति सिंह ने पत्रकारों से बातीचत में कहा कि 18 वर्ष के बाद जब लड़के वोट दे सकते हैं और अन्य फैसले ले सकते हैं, तो फिर शादी के लिए 21 वर्ष तक इंतजार करने की बात तर्कसंगत नहीं है और न ही इसका कोई वैज्ञानिक आधार है।विशेषज्ञों ने यह सिफारिश भी की है कि 16 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ यौन संबंध को अपराध माना जाना चाहिए। भले ही वह शादीशुदा हो या नहीं।अगर सरकार आयोग की सिफारिश स्वीकार कर लेता है, तो 16 साल से कम आयु की पत्नी के साथ शारीरिक सबंध स्थापित करने वाले व्यक्ति को आरोपित किया जा सकता है। मौजूदा कानून के तहत 15 वर्ष से कम उम्र की शादीशुदा महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना अपराध है।रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कानून में उत्तराधिकार का रिश्तों के आधार पर वर्गीकरण किया गया है। न्यायमूर्ति लक्ष्मण ने कहा हिन्दू उत्तराधिकार कानून 1956 में तीन वर्ष पूर्व किए गए संशोधन में पुत्रियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया था। लेकिन ऐसा करते समय उत्तराधिकारी की कुछ श्रेणियों को नजरअंदाज कर दिया गया। आयोग ने यह स्वीकार किया कि कानून में कुछ खामियां रह गयी हैं।आयोग की सिफारिशें अनुसंधान समूह की रिपोर्ट का नतीजा-आयोग की ये सिफारिशें एक अनुसंधान समूह की रिपोर्ट के बाद सामने आई हैं, जिसमें कहा गया है कि बाल विवाह गैर कानूनी घोषित किए जाने के बाद भी देश के तीन बड़े राज्यों- मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान में यह बड़े पैमाने पर जारी है।दिल्ली स्थित अनुसंधान समूह ‘सेंटर फॉर सोश्यल रिसर्च’ की 3 फरवरी को प्रकाशिक रिपोर्ट में कहा गया है- “ऐसे लोग जिनके समुदायों में अभी भी बालविवाह का प्रचलन है उनमें से 77.2 फीसदी मध्यप्रदेश से हैं, 41 फीसदी राजस्थान से हैं और 10 फीसदी उत्तरप्रदेश से हैं”।विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर डाला है कि बालविवाह से बच्चों विशेष रूप से बालिकाओं, जो घरेलू हिंसा और यौन शोषण का शिकार हो रही हैं, के विकास पर बुरा असर पड़ रहा है। बालविवाह के चलते बालिकाएं शिक्षा के अधिकार से भी वंचित रह जाती हैं।
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