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सादर
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
जबलपुर
A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABADEVOTIONAL ALBUM "BAWARE FAQEERA" VOICE :- *ABHAS JOSHI {Mumbai/Jabalpur} *SANDEEPA PARE {Bhopal} MUSIC:- *SHREYASH JOSHI { Mumbai/Jabalpur } LYRICS:- *GIRISH BILLORE ;MUKUL (Jabalpur) FOR FURTHER DETAILS & YOUR SUGESSTIONS CONTACT [1] girishbillore@gmail.com [2] girish_billore@rediffmail.com [3] PHONE 09479756905 pl send crossed cheque of Rs.60/-(Rs.50 +Rs. 10/) for one CD to Savysachi Kala Group 969/A-2,Gate No.04 Jabalpur MADHY-PRADESH,INDIA
Friday, October 31, 2008
Wednesday, October 29, 2008
मित्र चर्चा 02 : राजीव गुप्त: जन्म दिन मुबारक़ हो
राजीव गुप्ता , है स्वर्गीय पत्रकार श्री "हीरालाल गुप्त मधुकर ",के पुत्र साथ ही एक कुशल संगठक मौनचिन्तक आज इअनके जन्म-दिवस पर हमारी और से हार्दिक शुभ कामनाएं
{छवि:साभार डाक्टर विजय तिवारी 'किसलय' के ब्लॉग "यहाँ से ", }
Labels:
जन्मदिन,
जबलपुर,
मित्र-चर्चा,
राजीव गुप्ता
मित्र चर्चा 01 : गणेश मिश्रा जी एक सफल चरित्र
जीवन में कष्ट फ़िर भी
शांत तरल सरिता प्रवाह,
की बानगी........!!
जी हाँ आत्म संघर्ष और सदा सादगी....!!
न वो गुमसुम
न मौन
किंतु सहज सा मैं सोचूँ
-"ये योगी कौन...!!"
है साथ सबके मन में गागर
गागर में होता है
शांत-निर्मल-सागर !!
चलो आज हम भी खोजेंगे
व्यग्रता का मुख मोड़ेंगे ।
शांत-सहजता से नाता जोड़ेगें !!
[मित्र गणेश मिश्रा के लिए एक कविता उनके व्यक्तित्व को छूने की कोशिश शायद सफल भी है.....?]
Tuesday, October 14, 2008
सुनो समय
इस बीहड़ से गुज़रते मुझे बड़े ही डरावने से लगे थे
ओ समय
तुम जो प्रिया के इंतज़ार के वक्त
कितने अपने से .......?
समय तुम ही न थे जो मुझे अपमानित कर गए थे
हाँ तब जब माँ का शव लाया गया
और उभर आयीं थी
निस्तब्धाताएं एक साथ मेरे साथ तुम भी रुदन कर रहे थे
हाँ और तब भी जब
बहनों को विदा किया था !
तुम मेरे साथ ही तो थे
समय तुम मेरे साथ हर कदम हो हमकदम
प्रिय-मित्र बस एक बार हाँ एक बार मुझे
छोड़ दो अकेला
जी हाँ और रुक जाओ
कहीं आराम ही कर लो
शायद
मैं अकेले की क्षमताएं जान सकूं
एक बार अपने आप को पहचान सकूं ।
{चित्र ज्ञानदत्त जी से बिन पूछे आभार सहित }
Wednesday, October 8, 2008
फ़िल्म आज फ़िर जीने की तमन्ना है में आभास जोशी का अहम किरदार होगा
जबलपुर में अपने चाहने वालों के साथ
आभास फिल्म में बतौर गायक ही नहीं ">कम उम्र , ही ,आभास फिल्म में बतौर गायक ही नहीं ">आभास , - ने जो कर दिखाया ,बावरे-फकीरा ", यानी सद्गुरुसाईं नाथ की कृपा ही कहूँगा। संकोची तो नहीं पर सभी का सम्मान करता है आभास मुझे गोल गुड्डे से आभास की बचपन की यादे और आज उसका मुकान देख कर लगता है गोया दुनियाँ में कुछ भी असंभव कभी नहीं शत्रुघ्न सिंहां की पत्नी की फ़िल्म में अहम् भुमिका में आभास रेखा और शत्रु जी के बेटे के रूप में नज़र आएगा ।एक दैनिक समाचार पत्र के प्रायोजन में गरबा-महोत्सव के समापन कराने आए आभास ने बताया की मुझे लगातार व्यस्त कर दिया फ़िल्म और संगीत इंडस्ट्री ने । जबलपुर और मध्य प्रदेश के लिए इस गौरव पुत्र पर गर्व की बात ये भी है की वो आज भी कस्बाई शहर को नहीं भूल पाया ।
Monday, October 6, 2008
खुला ख़त: अज्ञातानंद जी के नाम
<="चित्र:मिसिजीवी जी से साभार "
प्रिय अज्ञातानंद जी
“सादर-अभिवादन”
आपका ख़त मिला पड़कर दुःख हुआ कि आप का ज़िक्र नही कर पाया अपनी एक पोस्ट पर भाई साहब ये सही है कि आपका भेजा हुआ वेतन जो ब्लॉगर की हैसियत से लिखने के लिए प्राप्त हो चुका है जिससे मैं अपने बाल-बच्चों का पालन पोषण कर रहा हूँ !.किंतु फ़िर भी आपका नाम न आने से मुझे ख़ुद खेद है यदि आप को कष्ट हुआ तो आप सेवा आचरण अधिनियम के तहत मेरे विरुद्ध कार्रवाई कर दीजिए .पीछे से छिप कर गरियाएं न इससे ब्लागिंग की परम्परा को ठेस पहुंचेगी
अब इन एग्रीग्रेटर्स को मैं कैसे समझाऊं कि वे पहला पेज आप जैसे अज्ञातानंद ब्लॉगर बनाम टिप्पणीकारों के लिए यह पंक्ति लिख दें-"यह एग्रीगेशन उन अनाम अज्ञातानन्दों ब्लॉगर बनाम टिप्पणीकारों की '..............' श्रद्धासुमन अर्पित करता है " अगर इस से आपको शान्ति मिले तो ठीक है वरना कोई बात नहीं अगले पितर-पक्ष में कुछ करूंगा ?
एक बात साफ़ तौर पर सुनो अज्ञातानंद जी आप न तो "शी" समझ में आए न ही "ही" किंतु किसी न किसी जेंडर से ताल्लुक ज़रूर रखतें हैं सो हाल फिलहाल हम आपको कॉमन-जेंडर में दाल के आपसे विनम्र निवेदन कर देते हैं कि ब्लॉग मेरा अपना विचार मंच है इसके लिए मुझे कोई वेतन-भत्ते नहीं आ रहे हैं सो फटे में टांग मत अढ़ाओं क्योंकि टांग फंसी यात्रा रुकी " अगर हम हिन्दी को अंतर्जाल पे फैला रए हैं तो आपको पेट में दर्द होने तक तो ठीक है किंतु पीड़ा का स्तर "प्रसव पीडा" पहुँच जाए तो इसमें अपन का कोई अवदान नहीं है .
एक दिन मेरे एक ब्लॉगर मित्र ने बता यार दिमाग ख़राब है...! क्यों क्या हुआ हमने पूछा ?
भैया बोले:-"यार घर में हूँ....अभी आया बीवी पड़ोस वाली भाभी के साथ किटी-पार्टी में गयीं है सोचा ब्लॉग लिख लूँ ब्लॉग खोला तो तीन महीने पुरानी पोस्ट पे एक भी टिप्पणी नई है ?"
भैया एकाध तो अपुन भेज देते हैं शेष आप अज्ञातानंद बन के "
मुझे लगता है कहीं तुम वही तो नही कोई गल नहीं तुम जो भी हो भैया मेरे मालिक आका कुछ भी नहीं हो किंतु पीछे लगने वाले "........." ज़रूर हो
तुम्हारी वफादारी को सलाम भेजना है "अपन लिंक मुझे दे दे ठाकुर/ठकुराईन........."
नवरात्रि की शुभ कामनाओं के साथ
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