AMUL STAR VOICE OF INDIA
ABHAS BECAUSE OF HIS SUPERB PERFORMANCE HAS GIVEN AN ANOTHER CHANCE BY JUDGES IN WILD CARD ENTRY, NOW ONLY YOUR VOTES WILL DECIDE HIS FATE IN VOICE OF INDIA.
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A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABADEVOTIONAL ALBUM "BAWARE FAQEERA" VOICE :- *ABHAS JOSHI {Mumbai/Jabalpur} *SANDEEPA PARE {Bhopal} MUSIC:- *SHREYASH JOSHI { Mumbai/Jabalpur } LYRICS:- *GIRISH BILLORE ;MUKUL (Jabalpur) FOR FURTHER DETAILS & YOUR SUGESSTIONS CONTACT [1] girishbillore@gmail.com [2] girish_billore@rediffmail.com [3] PHONE 09479756905 pl send crossed cheque of Rs.60/-(Rs.50 +Rs. 10/) for one CD to Savysachi Kala Group 969/A-2,Gate No.04 Jabalpur MADHY-PRADESH,INDIA
Sunday, September 30, 2007
हीरा भाई परीशान हैं.....
आभास का एलिमिनेशन से हताश हैं किन्तु जब से वाइल्ड कार्ड एंट्री की ख़बर ने उनको उत्साहित तो कर ही दिया है वे दौड़ भी गए आभास के लिए ........ ऎसी शख्शियत है "पंडित रोहित तिवारी "हीरा " की .....
कल अल्ल-सुबह मेरे साथ कुछ करना है हमको .....
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रविशंकर स्टेडियम जबलपुर में सुबह सवेरे जुडतें हैं शहर के लोग वर्जिश के लिए , आजकल ये लोग केवल आभास की बात करतें हैं.... सियासत...रिवायत.....हिदायत....इन सबकी चर्चा के विषय अब नहीं हैं...... जब से इन्हौने जाना है... कि आभास उनके शहर की वो आवाज़ है जो दुनिया की बेहतरीन आवाजों में शुमार होने तेज़ी से बड़ रही है....
सतीश बिल्लोरे मेरे बडे भाई ने बताया -"आभास मेरा रिश्तेदार है..."
फिर क्या था महावीर नयन जीं, पी एस बुन्देला , अरुण सचदेव, कुमार मलकानी, विनोद अरोरा,संजय जैन , द०आर० के० अग्रवाल, व्यास जीं सुरेश वासवानी त्रिलोक नाथ अमबवानी, सरदार कुलवंत सिंह प्रबल्जीत भाई , चन्दन सेठ की टीम ने "आभास की वी० ओ० आई०" में वापसी के लिए कोशिशें
http://youtube.com/watch?v=CB8YqexGz88
Saturday, September 29, 2007
लता मंगेशकर जीं जन्म दिन की बधाई
सुर सरगम से संयोजित युग
तुम बिन कैसे संभव होता ?
कोई कवि क्यों कर लिखता फिर
कोयल का क्यों अनुभव होता...?
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विनत भाव से जब हिय पूरन
करना चाहे प्रभु का अर्चन.
ह्रदय-सिन्धु में सुर की लहरें -
प्रभु के सन्मुख पूर्ण समर्पण ..
सुर बिन नवदा-भक्ति अधूरी - कैसे पूजन संभव होता ?
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नव-रस की सुर देवी ने आके
सप्तक का सत्कार किया !
गीत नहीं गाये हैं तुमने
धरा पे नित उपकार किया!!
तुम बिन धरा अधूरी होती किसे ब्रह्म का अनुभव होता ..?
**गिरीश बिल्लोरे मुकुल
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