वर्ष 2009 में अंतरजाल पर अपने भतीजे आभास-जोशी के लिए जो उस वक्त वाइस-आफ-इंडिया के प्रतियोगी थे के प्रमोशन के लिए प्रवेश किया था. सोच यह भी थी की हिंदी-साहित्य से अंतरजाल कितना भरा-पूरा है जानूं....? सब कुछ मिला यहाँ पूर्णिमा बर्मन और श्रद्धा जैन जैसे गुरु मिले जिनको मैंने देखा कभी भी नहीं किन्तु उनसे ब्लागिंग /नेट पर हिंदी में लेखन के गुर सीखे. तभी समीर लाल जी मिले जिनको वाकई भूल गया था मेरे तीसरे गुरु के रूप में सामने आए और फिर ब्लागिंग के नए पाठ लिखने का जुनून शुरू हुआ. मुझे होश रहा नहीं कि ब्लॉग एक या दो बनाने चाहिए सो कई ब्लॉग बना दी फिर जब यह समझ में आया की एक या दो ब्लाग्स से पहचान ही पहचाने जाओगे तब तक सारे ब्लॉग मुंह बाए पोस्ट माँगते नज़र आने लगे दिखाई देते किन्तु अपने आप को नियंत्रित करते हुए मैंने. अब तय कर लिया है कि कुछेक दो या तीन ब्लाग्स पर की लेखन किया जावेगा. नए ब्लागर्स से अनुरोध है कि जो गलती मुझसे हुई उसे वे न दुहराएं.
वर्ष 2009 मेरे लिए एक प्रशिक्षण वर्ष था इस वर्ष में कई ब्लॉगर को नंगी आँखों से देखने का अवसर मिला जो इ-मेल के ज़रिये फोन के ज़रिये इस उस को भड़काते नज़र आए. दो मित्रों के बीच युद्ध की स्थिति भी एक नामवर ब्लॉगर ने पैदा करा दी जबलपुर को अपमानित भी किया मेरे तथा भाई महेंद्र मिश्रा जी के बीच मतभेद पैदा कर दिए गए किन्तु माँ नर्मदा की असीम अनुकम्पा से उनकी कोशिशें बेकार हो गईं हैं हम सभी एक नाव पर सवार होकर ब्लागिंग जात्रा पर हैं....
जबलपुर ब्रिगेड पर समृद्धि की झलक देखने-मिल रही है, बावरे-फकीरा के गीत को हिंद-युग्म के पाडकास्ट प्रभाग यानी आवाज़ ने एक और स्थान दिया वहीं दूसरी और खजाना को जबलपुर ब्रिगेड में बदलने के प्रयास के बाद जो सफलता मिली उसे देखकर हौसला बढ़ा
वर्ष 2009 मेरे लिए एक प्रशिक्षण वर्ष था इस वर्ष में कई ब्लॉगर को नंगी आँखों से देखने का अवसर मिला जो इ-मेल के ज़रिये फोन के ज़रिये इस उस को भड़काते नज़र आए. दो मित्रों के बीच युद्ध की स्थिति भी एक नामवर ब्लॉगर ने पैदा करा दी जबलपुर को अपमानित भी किया मेरे तथा भाई महेंद्र मिश्रा जी के बीच मतभेद पैदा कर दिए गए किन्तु माँ नर्मदा की असीम अनुकम्पा से उनकी कोशिशें बेकार हो गईं हैं हम सभी एक नाव पर सवार होकर ब्लागिंग जात्रा पर हैं....
जबलपुर ब्रिगेड पर समृद्धि की झलक देखने-मिल रही है, बावरे-फकीरा के गीत को हिंद-युग्म के पाडकास्ट प्रभाग यानी आवाज़ ने एक और स्थान दिया वहीं दूसरी और खजाना को जबलपुर ब्रिगेड में बदलने के प्रयास के बाद जो सफलता मिली उसे देखकर हौसला बढ़ा