A TRIBUTE TO SHIRDEE SAI BABADEVOTIONAL ALBUM "BAWARE FAQEERA" VOICE :- *ABHAS JOSHI {Mumbai/Jabalpur} *SANDEEPA PARE {Bhopal} MUSIC:- *SHREYASH JOSHI { Mumbai/Jabalpur } LYRICS:- *GIRISH BILLORE ;MUKUL (Jabalpur) FOR FURTHER DETAILS & YOUR SUGESSTIONS CONTACT [1] girishbillore@gmail.com [2] girish_billore@rediffmail.com [3] PHONE 09479756905 pl send crossed cheque of Rs.60/-(Rs.50 +Rs. 10/) for one CD to Savysachi Kala Group 969/A-2,Gate No.04 Jabalpur MADHY-PRADESH,INDIA
Thursday, April 24, 2008
प्रतिभा और बाज़ार
[01] प्रतिभा और बाज़ार
उसकी सफलता की कहानी में केवल उसका टेलेंट ही था...?
ये अर्ध सत्य इस कारण भी क्योंकि बाज़ारवाद में ये सब कुछ होता है तरक्की और विकास के शब्द सिर्फ़ व्यवसायिकता के पन्नों पे दिखाई देतें हैं । रोशनी को सलाम करता ये समय तिमिर को नहीं पूछ रहा होता है।
मेरी, आपकी, यानी हम सबकी नज़र के इर्द गिर्द हजारों हज़ार प्रतिभाएं बेदम दिखाईं देतीं है ,किंतु केवल वो ही सफल होती है जो ग्लैमरस हो.यानी व्यवसायिकता के लिए मिसफिट न हो ।
माँ-बाप की तस्वीरें घर के बैठक खानों से लापता है,तो पूजा घर में होगी...? नहीं घर के नक्शे में पूजा घर के लायक जगह थी ही नहीं....सो बन नहीं पाया पूजा घर ।
जैसे ही मेरी नज़र गयी दीवार पर इक मँहगी पेंटिंग जो न तो भाई साहब के पिताजी की थी और न ही माँ की तस्वीर थी वो,
इसका अर्थ ये नहीं की उनके मन में माँ - बाप के लिए ज़गह नहीं है बात दरअसल ये है कि हमारी इन महाशय पर व्यावसायिकता इस कदर हावी हुई है कि वो सब कुछ भूल गए बच्चो से भी तो कम ही मिल पातें हैं वे तो दिवंगतों को याद रखना कैसे सम्भव होगा ।
विष्यान्तर होने के लिए माफी चाहता हूँ ,वास्तव में जिन श्रीमान की मैं चर्चा कर रहा हूँ वे बेहतरीन चित्रकार थे, तूलिकाएं,रंग,केनवस् उनके इशारे पे चलते थे,अब ..... वो प्रतिभा गुमसुम सी है, केनवस् कलम रंग को छुए बरसों बीत गए। केवल व्यापारिक-दक्षता ही उपयोगी साबित हुई उनके जीवन के लिए ।
पेंसिल से चित्रकारी करते लोगों की तारीफ करनी होगी,जो व्यावसायिकता के दौर में आज भी प्रतिभा को ज़िंदा रखतें हैं । ब्लॉगर के रूप सही,कला को ज़िंदा रखना ही होगा अस भी बस भी....!
अखबार,पत्रिकाएँ,विज्ञापनजीवी संचार माध्यमों के माथे दोष मढ़्ना ग़लत होगा समय ही ऐसा है कि कला साहित्य के पन्ने कम होते जा रहे हैं।
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