Sunday, December 9, 2007

चक्रधर की चकल्लस

चक्रधर की चकल्लस: "http://ashok.chakradhar.com/vhs2007/" अब भाईजी ने इतने जतन से रिपोर्ट भेजी है तो इसे सम्हालना हमारी जवाबदारी है...!

Saturday, December 8, 2007

एक हिंदुस्तानी की डायरी: हम ब्लॉगर साहित्य से बहिष्कृत हैं क्या?

एक हिंदुस्तानी की डायरी: हम ब्लॉगर साहित्य से बहिष्कृत हैं क्या? भैया आपका सवाल सही है ब्लॉगर के बारे में सोच यही है । क्योंकि बहुतेरे ब्लॉग के "ब" तक से परिचित नहीं हैं! जिसे ब्लागिंग की जानकारी हों वो ऐसा नहीं सोचता । हम सभी आने वाले वर्षों में शोध का विषय होंगे ...आप चिंता न करिये। रामायण लिखने वाले "तुलसी"को क्या मालूम था कि विश्व में उनकी रचना उनको प्रतिष्ठा दिलाएगी । हाँ गंदगी जिस दिन भी ब्लॉग पर आएगी हम सभी बदनाम हों सकतें हैं.....इस बात को ध्यान में रख के हम अपना काम जारी रखें.... ब्लॉगर साहित्य की पुलिस चौकियों से ज़रूर बहिष्कृत है , उनके थानों से बाहर हैं किन्तु हिन्दी साहित्य ने हमको नकारा नहीं है। ये सही है कि "ब्लॉग पर चर्चा कम है" ये संकट तो सभी का है।

Saturday, December 1, 2007

शान की जगह मिली आभास को::::सुरों को सम्मान मिला

आभास बना एंकर छोटे उस्ताद का
" जबलपुर ही नहीं सारा म०प्र० खुश है खुश है हर वो आम ओ खास जो आभास जोशी को पसंद करता है....!!"
कल जब मुझे मेरे सूत्रों ने बताया कि आभास जोशी स्टार प्लस के अगले रियलिटी शो "वाइस-ऑफ़-इंडिया छोटे-उस्ताद " की एंकरिंग करेंगे तो लगा वाकई आभास में ताकत है उसे कोई भी कभी भी नकार नहीं सकता।आभास की प्रतिभा के कायल सभी लोग उसके अपने हों जाते हैं। बकौल ज्योतिषविद श्री माधव सिंह यादव :-"आभास के लिए "वी० ओ० आई० " की सफलता एक छोटी सफलता होगी । आभास एक लीजेंड बनेगा , लोग उनकी आवाज़ के ठीक उसी तरह दीवाने होंगे जैसे किशोर.रफी, को पसंद किया जाता है। निर्णायकों का वायस ऑफ़ इंडिया , सेली-ब्रिटीज़ का वी०ओ०आई०, सितारों से लेकर बच्चे - बच्चे की जुबाँ पे बसे आभास ने विजेता इश्मित को भी आइना दिखा दिया लगता है आभास ने जिन भी पुराने गीतों को गाया है लोगों की जुबाँ पर चढ़ गए हैं । रीमिक्स के दौर में पुराने गीतों की वापसी उनकी उसी शान के साथ .... ये कमाल सिर्फ और सिर्फ आभास ही कर सकता है । आभास जोशी की बतौर एंकर स्टार प्लस में वापसी ने तय कर दिया कि स्टार प्लस और निर्माता गजेन्द्र सिंह के लिए "आभास'' का अर्थ क्या है ! " जबलपुर और समूचे म०प्र० के स्नेही आभास की इस सफलता के लिए हर्षित है वहीं भारत और विदेशों में बसे आभास के फेन'स रोमांचित हैं....! २९ मार्च १९९० को जबलपुर में जन्में आभास को संगीत विरासत में मिला और मिला "श्रेयस " जैसा भाई जिनसे आभास को इन ऊंचाईयों तक पहुचने अपने आप को सम्बद्ध किया है। पिता रविन्द्र माँ आभा , मेरे दोस्त जितेन्द्र आभास के सगे चाचा , चाची और दादी सभी साधुवाद के पात्र तो हैं ही मैं उनको कैसे भूल सकता हूँ जिन्होंने आभास को सहयोग किया है ।

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