Thursday, May 28, 2009

धरा से उगती उष्मा , तड़पती देहों के मेले दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो

धरा से उगती उष्मा , तड़पती देहों के मेले दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो यहाँ उपभोग से ज़्यादा प्रदर्शन पे यकीं क्यों है तटों को मिटा देने का तुम्हारा आचरण क्यों है तड़पती मीन- तड़पन को अपना कल समझ लो दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो मुझे तुम माँ भी कहते निपूती भी बनाते हो मेरे पुत्रों की ह्त्या कर वहां बिल्डिंग उगाते हो मुझे माँ मत कहो या फिर वनों को उनका हक दो दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो मुझे तुमसे कोई शिकवा नहीं न कोई अदावत है तुम्हारे आचरण में पल रही ये जो बगावत है मेघ तुमसे हैं रूठे , बात इतनी सी समझ लो दरकती भू ने समझाया, ज़रा अब तो सबक लो

Friday, May 22, 2009

Check out जीतिए रु 1000 का इनाम प्रतिमाह, 14 राकेश खंडेलवाल की पुस्तकें और हज़ारों पाठकों की नज़र-ए-इनायत

Title: जीतिए रु 1000 का इनाम प्रतिमाह, 14 राकेश खंडेलवाल की पुस्तकें और हज़ारों पाठकों की नज़र-ए-इनायत
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बावरे-फकीरा टायटल भजन जो आपको पसंद आए

सुधि साथियो साईं राम शायद आप इस ब्लॉग को अनदेखा न कर पाएंगे . आशा है आप को पसंद आएगा यह भजन

Sunday, May 17, 2009

रेडियो सबरंग : आपको वो मिलेगा यहाँ जो आप तलाशतें हैं ...!

http://l.yimg.com/t/news/jagran/20080117/16/klsaigal_fix-1_1200587411_m.jpgकुंदन लाल सहगल सी एच आत्मा
कुंदन लाल सहगल जी के स्वरों में सजी ग़ज़ल को सुनना शायद आज किसी को पसंद हो हो किंतु जिनको इसकी तलाश है उनकी तलाश एक क्लिक से ख़त्म हो सकती है इतना ही नहीं सी एच आत्मा के सुर में आप सुन उस दौर का मशहूर गीत प्रीतम आन मिलो सुन सकतें हैं
"रेडियो सबरंग टीम का आभार "